दलहन की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार ने बहुत बड़ा प्लान तैयार किया है. कहा जा रहा है कि सरकार इसका उत्पादन और किसानों की इनकम बढ़ाने के लिए नक्सल प्रभावित इलाकों में दलहन की खेती को बढ़ावा देगी. हालांकि, सरकार पहले से ही झारखंड- छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिलों और आदिवासी क्षेत्रों में अरहर और उड़द के रकबे को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. लेकिन अब वह गैर-पारंपरिक दलहन उगाने वाले क्षेत्रों पर फोकस करेगी. इसके लिए वह पायलट परियोजना शुरू करेगी. उसे उम्मीद है कि उसकी इस कोशिश से दलहन का उत्पादन बढ़ेगा और आयात पर भारत की निर्भरता कम होगी.
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, इस पायलट परियोजना का संचालन करने वाले भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) ने झारखंड में चार और छत्तीसगढ़ में पांच जिलों को चिह्नित किया है. यानी इन राज्यों में सरकार दलहन की खेती को बढ़ावा देगी. वहीं, एनसीसीएफ की प्रबंध निदेशक एनीस जोसेफ चंद्रा ने बताया कि हम झारखंड और छत्तीसगढ़ के चुनिंदा नक्सल प्रभावित और आदिवासी क्षेत्रों में इस खरीफ सीजन में अरहर और उड़द उत्पादन को बढ़ावा दे रहे हैं, जिसमें महिला किसान भी शामिल हैं. लक्षित जिलों में छत्तीसगढ़ में राजनांदगांव, जशपुर, बस्तर और मोहला मानपुर और झारखंड में पलामू, कटिहार, दुमका और गढ़वा शामिल हैं.
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उन्होंने कहा कि इन जिलों में दलहन की खेती को बढ़ावा देने के लिए चालू खरीफ सीजन के लिए संकर बीज वितरित किए गए हैं. वहीं, किसानों को सहकारी समिति को अपनी उपज बेचने के लिए एनसीसीएफ के ई-संयुक्ति पोर्टल पर पहले से पंजीकरण करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. कम तकनीक-प्रेमी किसानों के लिए ऑफ़लाइन आवेदन उपलब्ध हैं. वहीं, एनसीसीएफ न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कटी हुई दालों की खरीद करेगा, लेकिन अगर बाजार मूल्य एमएसपी से अधिक है तो किसान निजी व्यापारियों को बेच सकते हैं.
चंद्रा ने कहा कि सुनिश्चित खरीद से किसानों को खेती का विस्तार करने और अपनी आय में सुधार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. इससे भारत के दाल आयात को कम करने में मदद मिलेगी. ऐसे भी एनसीसीएफ, सरकारी बफर स्टॉक के लिए दालों की खरीद करता है. एनसीसीएफ को उम्मीद है कि उसके इस प्रयास से देश में दलहन का उत्पादन बढ़ेगा.
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