केंद्रीय कृषि मंत्री का कार्यभार संभालने के बाद से शिवराज सिंह चौहान ने यह साफ कर दिया है कि अब दिखावे और खानापूर्ति से काम नहीं चलेगा. उन्होंने कृषि मंत्रालय को नींद से जगाने का काम किया है और किसानों की समस्याओं को सिर्फ सुनने का नाटक नहीं, बल्कि उनके ठोस समाधान की राह पर निकल पड़े हैं. अब सिर्फ "मिशन-मिशन" की रट लगाने से देश आत्मनिर्भर नहीं होगा-ये शिवराज सिंह का सीधा संदेश है. जी हां शिवराज सिंह ने अपने काम और एक्शन से यह साफ कर दिया है की उनके मंत्रालय में अगर रहना है तो काम करना होगा. सिर्फ मंत्रालय ही नहीं बल्कि कृषि वैज्ञानिक को भी सीधा संदेश दिया है.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा रबी अभियान 2025 के लिए आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन में शिवराज सिंह चौहान ने खरीफ सीजन में दलहन की घटती खेती पर कड़ी नाराजगी जताई. उन्होंने अफसरों से साफ कहा कि अगर कर्नाटक में अरहर की फसल का रकबा घट गया है तो ये कैसा दलहन मिशन है? अगर तिलहन पर भी यही रवैया रहा, तो आत्मनिर्भर भारत महज एक सपना ही बना रहेगा. आगे उन्होंने कहा “सिर्फ मिशन कह देने से कुछ नहीं होगा,” शिवराज सिंह ने दो टूक शब्दों में कहा. “हमें ठोस रणनीति बनानी होगी, वर्ना खाद्य तेल और दालों के मामले में हम हमेशा आयात पर निर्भर रहेंगे.”
शिवराज सिंह चौहान ने साफ चेतावनी दी है कि कृषि वैज्ञानिकों और प्रशासन को अब अपनी जिम्मेदारियों से बचने की इजाज़त नहीं है. उन्होंने कहा कि देश की कृषि ग्रोथ 3.7% पर है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है- लेकिन ये ग्रोथ बनी रहे, इसके लिए जमीन पर काम करने की जरूरत है, कागजों पर नहीं. “हम साधारण लोग नहीं हैं,” उन्होंने कहा. “हम देश की आधी आबादी के भविष्य का निर्माण कर रहे हैं. अब लापरवाही की कोई जगह नहीं है.”
शिवराज सिंह ने नकली उत्पादों के धंधेबाजों को सीधी चेतावनी दी है. अब सिर्फ वो बायोस्टिमुलेंट (जैव उत्तेजक) बाजार में बिकेंगे जो हर कसौटी पर खरे उतरें. किसान का शोषण अब बर्दाश्त नहीं होगा. “अगर कोई नकली उत्पाद बेचेगा तो उसे कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा. अब यह सरकार किसानों के साथ है, लुटेरों के साथ नहीं.”
कृषि मंत्री ने स्पष्ट किया कि कृषि प्रसार कोई औपचारिकता नहीं है. सभी कृषि विज्ञान केंद्र, विश्वविद्यालय, विभाग और संस्थाएं अब कंधे से कंधा मिलाकर काम करें. “आपके काम में वैल्यू एडिशन होना चाहिए. हमें किसानों के लिए काम करना है, खुद की पीठ थपथपाने के लिए नहीं.” उन्होंने चेताया कि केंद्र और राज्य के बीच कोई भेद नहीं है, हम सब एक हैं और लक्ष्य है- किसान का उत्थान.
शिवराज सिंह चौहान ने रबी कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट कर दिया कि अब वक्त है सोचने का नहीं, एक्शन लेने का है. जमीन पर परिणाम दिखने चाहिए, कागजों में नहीं. किसानों की स्थिति तभी बदलेगी जब अफसरों और वैज्ञानिकों की सोच में बदलाव आएगा.
शिवराज सिंह चौहान की चेतावनी साफ है-अब कृषि मंत्रालय में काम करने वालों को नींद में नहीं, मिशन मोड में काम करना होगा. किसानों की समस्याएं अब फाइलों में नहीं दबेंगी, बल्कि समाधान के साथ सामने आएंगी. भारत को कृषि महाशक्ति बनाना है, और इसके लिए सिर्फ मीटिंग और घोषणाओं से काम नहीं चलेगा-ज़रूरत है जमीनी एक्शन की. अब समय आ गया है-या तो बदलाव लाओ, या कुर्सी छोड़ो.
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