सरकार के इस कदम से लासलगांव मंडी में सस्ता हुआ प्याज, कीमत में गिरावट से किसान नाराज, जानें ताजा रेट

सरकार के इस कदम से लासलगांव मंडी में सस्ता हुआ प्याज, कीमत में गिरावट से किसान नाराज, जानें ताजा रेट

महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संघ के अध्यक्ष भरत दिघोले ने कहा कि पिछले साल थोक प्याज की कीमत में गिरावट के कारण किसानों को भारी नुकसान हुआ था. लेकिन केंद्र ने तब भी किसानों को कोई राहत नहीं दी. अब, जब किसान अपनी उपज के लिए अच्छे दाम पा रहे हैं, तो दोनों केंद्रीय एजेंसियों ने अपनी उपज बाजारों में बेचना शुरू कर दिया है.

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सरकार के इस कदम से लासलगांव मंडी में सस्ता हुआ प्याज, कीमत में गिरावट से किसान नाराजप्याज की कीमत में गिरावट. (सांकेतिक फोटो)

महंगाई पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार अलग-अलग राज्य के शहरों में 35 रुपये किलो की दर से प्याज बेच रही है. साथ ही वह ओपन मार्केट में बफर स्टॉक से प्याज भी जारी कर रही है. इससे प्याज उत्पादक किसानों में नाराजगी है. किसानों का कहना है कि बपर स्टॉक से प्याज जारी करने के चलते इसके थोक कीमत में गिरावट आई है. इससे किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है. साथ ही किसानों का कहना है कि सरकार को प्याज पर 40 फीसदी निर्यात शुल्क और मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस (एमईपी) को वासस लेना चाहिए.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड) ने अपने बफर प्याज स्टॉक को बाजारों में जारी करना शुरू कर दिया है. इसके चलते नासिक स्थित लासलगांव मंडी में प्याज का औसत होलसेल रेट 4,500 रुपये प्रति क्विंटल से गिरकर 3,950 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया है. हालांकि, एक्सपर्ट का कहना है कि प्याज की कीमत में गिरावट ग्रामीण नासिक में सत्तारूढ़ गठबंधन (महायुति) के विधायकों के लिए अच्छी खबर नहीं है.

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40 फीसदी निर्यात शुल्क वापस ले सरकार

महायुति के एक विधायक ने टीओआई को बताया कि बफर स्टॉक जारी होने के बाद प्याज उत्पादकों के बीच संकट बढ़ जाएगा. विधायक ने कहा कि दोनों एजेंसियों को नासिक एपीएमसी में प्याज के औसत होलसेल रेट पर किसी भी तरह के प्रभाव से बचने के लिए मौजूदा बाजार मूल्य पर उपज बेचनी चाहिए. विधायक ने कहा कि इसके अलावा, केंद्र को बिना किसी प्रतिबंध के प्याज का निर्यात जारी रखना चाहिए और प्याज पर 40 फीसदी निर्यात शुल्क और एमईपी वापस लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम अपने वरिष्ठ नेताओं के साथ मौजूदा मुद्दे पर बात करेंगे.

कीमत में गिरावट के कारण किसानों को नुकसान

वहीं, महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संघ के अध्यक्ष भरत दिघोले ने कहा कि पिछले साल थोक प्याज की कीमत में गिरावट के कारण किसानों को भारी नुकसान हुआ था. लेकिन केंद्र ने तब भी किसानों को कोई राहत नहीं दी. अब, जब किसान अपनी उपज के लिए अच्छे दाम पा रहे हैं, तो दोनों केंद्रीय एजेंसियों ने अपनी उपज बाजारों में बेचना शुरू कर दिया है. इस फैसले से कीमतें कम होंगी और प्याज किसानों को फायदा होगा. उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, दोनों केंद्रीय सरकारी एजेंसियों ने केंद्र के लिए बफर स्टॉक बनाने के लिए 4.7 लाख मीट्रिक टन ग्रीष्मकालीन प्याज खरीदा है.

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