देश के कुछ राज्यों में गन्ने का रकबा बहुत ज़्यादा है। इस वजह से भारत में हर साल बड़ी मात्रा में चीनी का उत्पादन होता है। भारत दुनिया भर में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश माना जाता है. इस बीच, इस साल 1 अक्टूबर से गन्ना पेराई सत्र शुरू हो रहा है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया है कि इस नए फसल सत्र में निर्यात के लिए पर्याप्त अतिरिक्त चीनी स्टॉक रखा जाएगा.
भारत के चीनी निर्यात से वैश्विक कीमतों पर दबाव पड़ सकता है, लेकिन इससे भारत सरकार को घरेलू चीनी कीमतों को सहारा देने और गन्ना किसानों को उनकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिलाने में मदद मिलेगी. अगले सीजन का उत्पादन अच्छा दिख रहा है और घरेलू खपत और इथेनॉल उत्पादन की जरूरतों को पूरा करने के बाद भी निर्यात के लिए पर्याप्त स्टॉक मौजूद रहेगा. नए सीजन में गन्ने से करीब 4.8 अरब लीटर इथेनॉल का उत्पादन होने की उम्मीद है, जो अब तक का रिकॉर्ड होगा.
एक मीडिया रिपोर्ट ने इंडियन शुगर एंड बायो-एनर्जी प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन के हवाले से बताया है कि मार्केटिंग ईयर 2025-26 (1 अक्टूबर से) में उत्पादन बढ़कर 34.9 मिलियन मीट्रिक टन हो सकता है. नए सीजन में देश की चीनी खपत इस साल के 280 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 285-290 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान है. भारत नए मार्केटिंग ईयर की शुरुआत 50 लाख मीट्रिक टन के शुरुआती स्टॉक के साथ करेगा, जो इस साल की शुरुआत में 80 लाख मीट्रिक टन था.
नए सत्र में चीनी निर्यात में तेजी आने की संभावना है. उत्पादन में गिरावट के बावजूद, भारत ने चालू मार्केटिंग ईयर (सितंबर में खत्म) में 10 लाख मीट्रिक टन चीनी के निर्यात की मंजूरी दी थी. अगले सत्र का उत्पादन अच्छा दिख रहा है और घरेलू खपत और इथेनॉल उत्पादन जरूरतों को पूरा करने के बाद भी निर्यात के लिए जरूरी भंडार होगा. नए सत्र में गन्ने से करीब 4.8 अरब लीटर इथेनॉल उत्पादन होने की उम्मीद है, जो अब तक का एक रिकॉर्ड होगा.
भारत में हर साल बड़ी मात्रा में चीनी का उत्पादन होता है. देश विदेशों में बड़ी मात्रा में चीनी का निर्यात करता है. पिछले साल कुछ राज्यों में गन्ने का रकबा कम हो गया था. इस वजह से गन्ना पेराई सत्र के दिन भी कम हो गए थे. इसकी वजह से उत्पादन में भी कुछ हद तक कमी आई थी. हालांकि, इस साल बड़ी मात्रा में गन्ने की खेती हुई है. इसलिए इस साल चीनी उत्पादन में बड़ी वृद्धि होने की संभावना है.
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