पूरे साल चने का दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से ऊपर नहीं आया. चने का एमएसपी 5,335 रुपये क्विंटल है, जबकि ओपन मार्केट में औसत भाव 4500 से 5000 रुपये के आसपास बना रहा. इसके बावजूद रबी सीजन 2022-23 में इसकी बुवाई को लेकर किसानों का रुझान कम नहीं हुआ है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार चने की बुवाई में रिकॉर्ड तेजी दिखाई दे रही है. इस साल 16 दिसंबर तक 97.90 लाख हेक्टेयर में चना बोया जा चुका है. जबकि पिछले साल इस अवधि में 94.97 लाख हेक्टेयर में ही बुवाई हुई थी. इसकी बुवाई का सामान्य क्षेत्र 98.86 लाख हेक्टेयर है.
ऐसे में सवाल ये है कि इस साल अच्छा दाम न मिलने के बावजूद किसान अगले साल चने की खेती से फायदे को लेकर इतने आश्वस्त क्यों हैं? कमोडिटी रिसर्चर इंद्रजीत पॉल का कहना है कि चूंकि दलहल में अब भी हम आत्मनिर्भर नहीं हुए हैं, ऐसे में किसानों को उम्मीद है कि आगे चलकर चने को लेकर सिचुएशन अच्छी हो सकती है. इस उम्मीद में उन्होंने बुवाई कम नहीं की है.
ओरिगो कमोडिटी के मुताबिक 1 मार्च से 14 दिसंबर 2022 के दौरान मंडियों में चने की आवक पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 10 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 23.14 लाख मीट्रिक टन दर्ज की गई है. महाराष्ट्र में 14 फीसदी ज्यादा आवक रही है. यह इसके दाम में नरमी की एक बड़ी वजह है. चने का उत्पादन कुल दलहन फसलों का करीब 45 फीसदी बताया गया है. राजस्थान, आंध्र प्रदेश, गुजरात, यूपी और कर्नाटक इसके बड़े उत्पादक हैं.
चने की कुल खरीद 25.92 लाख मीट्रिक टन हो चुकी है. राज्यवार सरकारी खरीद के आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र में 7.60 लाख मीट्रिक टन, गुजरात में 5.59 लाख मीट्रिक टन, मध्य प्रदेश में 8.02 लाख मीट्रिक टन, कर्नाटक में 74 हजार मीट्रिक टन, आंध्रप्रदेश में 72 हजार मीट्रिक टन, राजस्थान में 2.99 लाख मीट्रिक टन और उत्तर प्रदेश में 26.45 हजार मीट्रिक टन चने की सरकारी खरीद हो चुकी है. इन सभी राज्यों में अब खरीद कार्यक्रम पूरा हो चुका है.
भारतीय खाद्य निगम (FCI) के पास चने का स्टॉक करीब 32,000 टन है. एफसीआई ने रबी 2022 में करीब 73,650 मीट्रिक टन चने की खरीद की है, जिसमें से तकरीबन 41,650 मीट्रिक टन की बिक्री हो चुकी है. 2022 के सीजन से नेफेड के पास करीब 25 लाख मीट्रिक टन चने का स्टॉक है. 25 लाख मीट्रिक टन में से करीब 15 लाख मीट्रिक टन रियायती मूल्य पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए बफर में जाएगा. वहीं खुले बाजार में बिक्री के लिए करीब 10 लाख मीट्रिक टन स्टॉक नेफेड के पास छोड़ दिया जाएगा.
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