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बांग्लादेश में किसानों की आय बढ़ाता है आलू, ये 21 किस्में देती हैं बंपर पैदावार

बांग्लादेश में किसानों की आय बढ़ाता है आलू, ये 21 किस्में देती हैं बंपर पैदावार

बांग्‍लादेश के किसान इस समय आलू की खेती से अच्‍छी आय कमा रहे हैं. यहां के मीडिया की मानें तो किसान एक दो नहीं बल्कि आलू की पूरी 21 किस्‍मों की खेती से आमदनी कमा रहे हैं.  बांग्‍लादेश के सिलहट और मौलवीबाजार के किसान वैज्ञानिक खेती के तरीकों का उपयोग करके पिछले कुछ सालों से ज्‍यादा फसल वाली आलू की खेती कर रहे हैं. इससे उन्‍हें अच्‍छा मुनाफा भी हो रहा है.

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बांग्‍लादेश में किसानों को मालामाल कर रहा आलू बांग्‍लादेश में किसानों को मालामाल कर रहा आलू

बांग्‍लादेश के किसान इस समय आलू की खेती से अच्‍छी आय कमा रहे हैं. यहां के मीडिया की मानें तो किसान एक दो नहीं बल्कि आलू की पूरी 21 किस्‍मों की खेती से आमदनी कमा रहे हैं.  बांग्‍लादेश के सिलहट और मौलवीबाजार के किसान वैज्ञानिक खेती के तरीकों का उपयोग करके पिछले कुछ सालों से ज्‍यादा फसल वाली आलू की खेती कर रहे हैं. इससे उन्‍हें अच्‍छा मुनाफा भी हो रहा है. देश में आलू की 106 किस्में हैं और उनमें से सिर्फ केवल 18 से 21 किस्में ही ऐसी हैं जिनसे अच्‍छी फसल मिलती है. 

एक साथ 21 किस्‍मों की खेती 

बांग्‍लादेश ने निकलने वाले अखबार बिजनेस पोस्‍ट की रिपोर्ट के अनुसार नई कृषि तकनीक और ज्‍यादा फसल वाली नई किस्मों की खेती से, हाउर क्षेत्रों के लोग अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर बना रहे हैं. इनमें से ही एक किसान हैं, हबीबुर रहमान जलाल जिन्‍हें आलू की खेती से अच्‍छी आमदनी हो रही हैं. जलाल जो कभी आजीविका की तलाश में विदेश तक चले गए थे अब अपने ही देश में किसान बनकर खुश हैं. देश लौटने के बाद वह मौलवीबाजार सदर के गियासनगर गांव में पूरी तरह से किसान के तौर पर काम कर रहे हैं. जलाल आलू की एक साथ 21 किस्मों की खेती करके आसपास के क्षेत्रों में मशहूर हो गए हैं.

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हबीबुर रहमान जलाल के खेत में टिन-शेड में कई रंग और आकार के आलू रखे हुए थे. खेत से लाए गए आलू गोल और लंबे होते हैं और कुछ लाल और पीले रंग के भी होते हैं. हर किस्म पर उसका नाम बताने वाला साइनबोर्ड लगा रहता है. जलाल खेत से सभी आलू काट लेते हैं और कुछ आलू बीज के लिए सुरक्षित रख लेते हैं. जबकि बाकी बचे आलू वह बेच देते हैं. उन्होंने आगे बताया कि वे कई सालों से रंगीन चावल समेत देशी और विदेशी चावल की कई किस्मों की खेती कर रहे हैं. 

पिछले साल बोईं थी 12 किस्‍में 

जलाल को नई कृषि तकनीकों और नई किस्मों में गहरी रुचि है. पिछले साल उन्होंने आलू की 12 किस्मों की खेती की थी. अच्छी पैदावार के कारण उन्होंने आलू की व्यावसायिक खेती करने का फैसला लिया. इस साल बांग्लादेश कृषि विकास निगम (बीएडीसी) और मौलवीबाजार स्थित अकबरपुर क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र की मदद से उन्होंने करीब 150 डिसमिल जमीन पर आलू की खेती की. पुरानी और नई किस्मों को मिलाकर उन्होंने इस साल 21 किस्म के आलू की खेती की है. सीजन की शुरुआत में खराब मौसम के कारण आलू के बीज बोने का काम एक महीने देरी से दिसंबर के अंत तक करना पड़ा. देर से रोपाई और जल्दी बारिश के बावजूद, उन्होंने अच्छी फसल हासिल की. 

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आलू की 21 किस्‍में कौन सी 

आलू की 21 किस्मों में से 18 किस्में कृषि अनुसंधान केंद्र की तरफ से सप्‍लाई की गई थी. इनमें बारी-25 (एस्टेरिक्स), 40, 41, 46, 47,48, 49, 50, 53 (एलबी-6), 62, 63, 77 (सरपो मीरा), 78, 79, 87, 88, 90 (अलौएट) और 91 (कैरोलस) शामिल हैं. इसके अलावा, आलू के बीज की तीन पुरानी किस्में भी थीं. इनमें बारी-78 और 47 की फसल सबसे अच्छी रही.  हबीबुर रहमान जलाल कहते हैं कि खेत में बीज बोने के बाद  खाद और दूसरी बातों का काफी ध्‍यान रखना पड़ता है और नियमित देखभाल की बहुत जरूरत होती है. आलू की ये किस्में बीमारी या कीड़ों के हमले के लिए कम संवेदनशील हैं. हालांकि, इस बार बारिश की वजह से कई पौधे मर गए. आलू के पौधे उम्मीद के मुताबिक बड़े नहीं हुए. उन मुश्किलों के बाद भी फसल अच्छी रही है. 

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आलू की खेती में दोगुना मुनाफा 

जलाल ने बताया कि स्थानीय किस्म का आलू एक डिसिमल जमीन पर बहुत अच्छी पैदावार देता है तो भी यह अधिकतम 20-25 किलो होता है. लेकिन इन नई किस्मों से 160-170 किलो पैदावार हुई है. इस बार खराब मौसम के कारण उत्पादन लागत बढ़ गई है. घने कोहरे और बारिश की वजह से कीड़ों-पतंगों का प्रकोप काफी था. इस वजह से फफूंदनाशकों का बार-बार इस्तेमाल करना पड़ रहा है. एक डिसिमल जमीन पर करीब 2500 टका का खर्च आता है. इसके बावजूद मुनाफा करीब दोगुना रहा. 

मौलवीबाजार के अकबरपुर क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक अधिकारी मोहम्मद अब्दुल मजीद मिया ने बताया कि पिछली बार जलाल को 10 किस्मों के बीज दिए गए थे. पैदावार अच्छी होने पर उन्होंने दूसरे किसानों को बीज बांटे. इस बार उन्हें 18 किस्मों के बीज दिए गए. किसान सभी किस्मों की खेती नहीं करते बल्कि वो वही उगाते हैं जिससे सबसे ज्यादा पैदावार होती है.