बाग -बगीचा :अनार का फल और जूस स्वादिष्ट और औषधीय गुणों से भरपूर होता है. इस कदर फायदेमंद होने की वजह से ही इसे 'सुपर फूड' के रूप में जाना जाता है.अनार की बागवानी से प्रति इकाई क्षेत्र अधिक मुनाफा होने के कारण हमारे देश में पिछले दो दशकों में शुष्क क्षेत्र में अनार के क्षेत्रफल एवं उत्पादन में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे इसकी बागवानी करने वाले किसानों को लाभ मिल रहा है. पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण इसके जूस की मांग साल भर बनी रहती है. इसके फल, जूस और सलाद ऊर्जा प्रदान करते हैं, इसे खाने से कई बीमारियों का खतरा कम हो जाता है. इसके कारण बाजार में अनार की कीमत अच्छी मिलती है. अनार की खेती महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान, मध्य प्रदेश और व्यावसायिक बागवानी में की जाती है. अनार के कुल उत्पादन की 70 फीसदी मांग देश में है ,अनार की अधिकतम पैदावार और लाभ के लिए तकनीकी ज्ञान जरूरी है. बाग-बगीचा सीरीज में इन्हीं सब पर चर्चा करते हैं.
अनार के पौधे को रोपने के 3 से 4 साल बाद फल देना शुरू कर देता है. अनार के फूल खिलने के बाद किस्म के अनुसार पांच से छह महीने बाद अनार के फल पककर तैयार हो जाते हैं.अनार में साल भर फूल आते रहते हैं. लेकिन साल में तीन बार फल लेते हैं. अम्बे बहार, में जनवरी से फरवरी मृग बहार में जून से जुलाई, हस्त बहार में सितम्बर से अक्टूबर में फूल आते हैं. इनके पौधों से अच्छी फलत 5 से 6 साल बाद मिलने लगती है. एक विकसित पेड़ से 15 से लेकर 30 किलों फल उत्पादन लिया जा सकता है. अनार की बागवानी से 25 से 30 साल तक उपज ली जा सकती है. आईसीएआर का केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, बीकानेर के NRCAH के अनुसार अनार की किस्मों लगाकर बेहतर लाभ ले सकता है.
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यह किस्म क्लोनल चयन है. इसको अनार की गणेश और गुलेशाह के क्रॉस से महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ द्वारा साल 2003-04 विकसित किया गया था. भारत में अनार की प्रमुख किस्म है सिंदूरी. इसके फल बड़े आकार के चमकदार होते हैं. लाल छिलका, मोटा छिलका, मोटे लाल दाने, मीठे और मुलायम बीज वाले होते हैं, फूल खिलने के बाद 170 से 180 दिनों में फल पक जाते हैं. इसके प्रति पौधे से 100 किलों तक उपज मिल जाती है.
फुले अरक्ता किस्म का विकास महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ द्वारा साल 2003 में किया गया था. इसके फल मध्यम आकार के गहरे लाल छिलके वाले, नरम बीज वाले और होते हैं. यह किस्म भी अधिक उपज देने वाली है, इसके प्रति पौधे से लगभग 30 किलोग्राम फल मिल जाता है.
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महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ राहुरी साल 2013 में विकसित किया था. बड़े आकार, भगवा और चमकीले फूल वाली भगवा किस्म 180 से 190 दिन में पक जाती है इसके एक पेड़ से औसत 25 से 30 किलो फल लग जाते हैं.
गणेश-अनार सबसे पुरानी किस्म है. इसे साल 1936 में महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ राहुरी द्वारा विकसित किया गया था. अनार की गणेश किस्म महाराष्ट्र में व्यापक रूप से लगाई जाती है. महाराष्ट्र की जलवायु के अनुसार यह किस्म वहां अधिक पैदावार देती है. इस किस्म के फल आकार में ज्यादा बड़े नहीं होते हैं और इसके बीज मुलायम और गुलाबी रंग के होते हैं.
ज्योति य़ूएस धारवाड कृषि विश्वविद्यालय द्वारा 1985 विकसित किस्म है. अनार की इस किस्म का फल मध्यम आकार का होता है और इसके बीज लाल रंग के होते हैं. ये किस्म प्रति पेड़ लगभग 10 से 12 किलोग्राम उपज देती है.
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मृदुला अनार की एक उन्नत किस्म है. इसे महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ राहुरी ने साल 1994 में विकसित किया था. अनार की यह किस्म भी महाराष्ट्र में व्यापक रूप से लगाई जाती है. इस किस्म के अनार का वजन लगभग 250 ग्राम से 350 ग्राम तक होता है. इसके फल की सतह काफी चिकनी और लाल रंग की होती है
जालौर अनार राजस्थान की बहुत पापुलर किस्म है. जालौर किस्म के अनार का वजन लगभग 200 से 300 ग्राम होता है. इसके फल हल्के गुलाबी रंग के साथ लाल होते हैं. अनार की यह किस्म खाने में बहुत स्वादिष्ट होती है. इसके बीज भी बहुत मुलायम होते हैं. यह किस्म शुष्क क्षेत्रों में व्यापक रूप से उगाई जाती है. इसे काजरी जोधपुर द्वारा विकसित किया गया है. इसके अलावा अनार की और भी किस्में हैं रूबी,अमली दाना, गोमा खट्टा, CO-1 G-137 इत्यादि किस्में हैं.
अनार को चौकोर या आयताकार बगीचे में लगाना चाहिए. इसके लिए, अप्रैल और मई में 1 मीटर x 1 मीटर x 1 मीटर आकार के गड्ढे तैयार करने चाहिए और बरसात के मौसम जुलाई-अगस्त के दौरान इनके पौधे लगाए जाते हैं. अधिकांश किस्मों के लिए 4 मीटर x 3 मीटर या 5 x 2.5 मीटर के दूरी पर लगाए जाते हैं. इस तरह एक एकड़ में 300 से 320 पौधे लगाए जाते हैं. लेकिन अधिक फैलने वाले गणेश और सीडलेस जौलोर के लिए 5 मीटर x 4 और 5 मीटर x 5 मीटर का उपयोग किया जाता है. 200 पौधे लगाए जाते हैं.
अनार का कलमी पौधा अच्छा माना जाता है. यह तीन साल में पैदावार देना शुरू कर देता है. अनार की रोपाई करने से पहले दीमक से बचाव के लिए गड्ढों को क्लोरपाइरीफोस नामक दवा की 2 मिली/लीटर मात्रा से उपचारित करना चाहिए. अनार की बागवानी में मिट्टी में 10 किलो गोबर मिला देना चाहिए. रोपण से एक दिन पहले थाला में यूरिया 200 ग्राम, डीएपी 100 ग्राम तथा 100 म्यूरेट ऑफ पोटाश मिला देना चाहिए.
एक एकड़ खेत में अनार की पैदावार 40 से 50 क्विंटल होती है, इसलिए किसान अनार बागवानी से 2 से 3 लाख रुपये सालाना कमा सकते हैं. सही किस्म का चुनाव और रखरखाव के साथ अगर ज्यादा बड़ी जगह बागवानी करेंगे, तो कमाई उसी अनुपात में बढ़ जाएगी.
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