पाकिस्तान बासमती चावल उत्पादन करने वाले प्रमुख देशाें में शामिल है, जो दुनिया के कई देशों को बासमती चावल की आपूर्ति भी करता है, लेकिन, पिछले साल अगस्त में आई भयंकर बाढ़ ने पाकिस्तान के चावल उत्पादक किसानों को तबाह करके रख दिया है. इस बाढ़ के कारण पाकिस्तान ने अपने धान उत्पादन का पिछले 60 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. बाढ़ के कारण पिछले साठ सालों में 2021-22 वाले अवधि में पाकिस्तान का कृषि उत्पादन सबसे कम रहा है, मुख्य रूप से बासमती और गैर-बासमती धान. बासमती चावल के एक्सपोर्ट में आयी कमी से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था भी काफी चरमरा गई है.
पाकिस्तान से बासमती चावल के निर्यात में 44 फीसदी की गिरावट आई है. जो पिछले 60 साल की तुलना में सबसे अधिक है. इस गिरावट से पाकिस्तान भारत के तुलना में बासमती की दामों में भी गिरावट देखने को मिली है. जहां भारत में इस सुगंधित बासमती की कीमत 1450 डॉलर प्रति टन है. वहीं पाकिस्तान के बासमती की कीमत 1350 डॉलर प्रति टन है.
पाकिस्तान के इतिहास में पिछले साल का अगस्त आफत भर रहा है. जिसमें बारिश ने कहर बरपाया है. अगस्त में आई भयंकर बाढ़ ने पूरे पाकिस्तान को हिला कर रख दिया. इस बाढ़ के विभत्स रूप से आम जनता के साथ ही देश की कृषि व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो गई है. पाकिस्तान के राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने मीडिया के हवाले से बताया है कि बाढ़ के कारण सिंध प्रांत में बासमती उत्पादन में फीसदी की गिरावट आई है.
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हालांकि इतनी क्षति के बावजूद भी अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) ने बताया है कि इससे कृषि उत्पादन को किसी बड़े झटके का अनुमान नहीं है. वहीं व्यापार सूत्रों ने बताया है कि पाकिस्तान अमेरिकी डॉलर की कमी के कारण बूरे दौर से गुजर रहा है. जिससे उसे वस्तुओं के आयात करने में दिक्कत हो रहा है. वहीं बासमती निर्यात में गिरावट इस्लामाबाद के भुगतान संतुलन की समस्या को और भी प्रभावित करेगी.
पाकिस्तान इस समय भोजन की समस्याओं से उबर नहीं पा रहा है. वहीं सोशल मीडिया ऐसी घटनाओं से भर गया है. पिछले साल ही पाकिस्तान में गेहूं की फसल को लू की वजह से नुकसान उठाना पड़ा था और वर्तमान में धान. इस ऐतिहासिक बाढ़ ने कराची –लाहौर रेल लिंक को भी नुकसान पहुंचाया है. यह भी पाकिस्तान के बासमती निर्यात के प्रभावित होने का एक और कारण है.
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