पंजाब में धान खरीद की सुस्त चाल को लेकर मचे हंगामे के बीच केंद्र सरकार ने दावा किया है कि सूबे में 30 नवंबर 2024 तक 185 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) धान खरीदने का लक्ष्य हासिल हो जाएगा. खरीफ मार्केटिंग सीजन 2024-25 के लिए अब तक पंजाब में 10 लाख किसानों ने एमएसपी पर धान बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है. वहां 29 अक्टूबर 2024 तक 67 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की गई है, जो कि पिछले साल इसी तिथि पर खरीदे गए 84 लाख एलएमटी का 80 फीसदी है. पंजाब में धान की खरीद समय से 1 अक्टूबर 2024 को शुरू हो गई थी, लेकिन सितंबर में भारी बारिश और उसके चलते धान में नमी की मात्रा अधिक होने के कारण कटाई और खरीद में देरी हुई.
पंजाब में धान खरीद को लेकर किसान गुस्से में हैं. बताया गया है कि वहां इस मुद्दे को लेकर इस समय 50 से अधिक जगहों पर आंदोलन हो रहे हैं. इससे न सिर्फ राज्य सरकार बल्कि केंद्र की भी चिंता बढ़ गई है. उधर, इस मामले में सियासत भी तेज हो गई है. कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आरोप लगाया है पंजाब के किसानों को केंद्र सरकार किसान आंदोलन की सजा दे रही है. किसानों को एसएसपी नहीं देना पड़े, इसके लिए धान की खरीद और किसानों के रजिस्ट्रेशन में आधी से ज्यादा कटौती कर दी गई है. इन आरोपों के बाद पंजाब के मुद्दे पर बार-बार केंद्र सरकार की सफाई आ रही है.
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उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक हर साल की तरह, मिलिंग कार्यों के लिए राज्य सरकार द्वारा चावल मिल मालिकों को शामिल किया गया है. कस्टम मिल्ड राइस (सीएमआर) की डिलीवरी के लिए आवेदन करने वाले 4400 मिल मालिकों में से, पंजाब सरकार द्वारा 29 अक्टूबर 2024 तक 3850 मिल मालिकों को काम आवंटित कर दिया गया है. पंजाब की मंडियों से हर दिन औसतन करीब 4 एलएमटी धान उठाया जा रहा है. मंत्रालय का अनुमान है कि बाकी 118 एलएमटी धान खरीदने का टारगेट 30 नवंबर 2024 तक आसानी से पूरा कर लिया जाएगा.
मंत्रालय ने बताया है कि 29 अक्टूबर 2024 तक, पंजाब में धान बेचने वाले 3,50,961 किसानों को 13,211 करोड़ रुपये की रकम एमएसपी के तौर पर जारी की गई है. खरीद के 48 घंटे के भीतर ये रकम डीबीटी के माध्यम से किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर की जा रही है. पेमेंट को डिजिटल कर दिया गया है, जिसकी वजह से किसानों को जल्द से जल्द पैसा मिल रहा है. सरकार एमएसपी व्यवस्था को और मजबूत कर रही है, ताकि किसानों को ज्यादा फायदा मिले.
एसकेएम ने सरकार पर आरोप लगाया था कि खाद्य सब्सिडी में कटौती की वजह से गोदामों से अनाज बाहर वितरण के लिए नहीं निकाला गया. इसकी वजह से गोदाम भरे हुए हैं. उसमें नया चावल रखने की जगह नहीं है. अब मंत्रालय ने आंकड़ों के साथ इसका भी जवाब दिया है.
इसमें दावा किया गया है कि खाद्य सब्सिडी के लिए बजट का आवंटन और रिलीज, पिछले दस सालों में, उससे पहले के दस वर्षों के मुकाबले चार गुना से अधिक हो गया है. वर्ष 2014-15 से 2023-24 के दौरान खाद्य सब्सिडी पर लगभग 21.56 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, जबकि 2004-05 से 2013-14 के दौरान इस पर सिर्फ 5.15 लाख करोड़ रुपये ही खर्च किए गए थे.
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