हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने प्रदेश के धान उत्पादक किसानों को नए वर्ष का तोहफा देते हुए उनके लिए 90 करोड़ रुपये का बोनस जारी किया. उन्होंने चंडीगढ़ में अपने कार्यालय से ऑनलाइन बोनस जारी करने के बाद कृषि, बागवानी और अन्य सहायक क्षेत्रों के लिए अधिकारियों के साथ प्री-बजट चर्चा भी की. कृषि मंत्री ने आगामी बजट की व्यापक तैयारियां करने के निर्देश देते हुए कहा कि किसानों के व्यापक हित की योजनाओं के लिए बजट में रूपरेखा तैयार करें. उन्होंने अधिकारियों को केंद्र सरकार की ओर से निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सभी 24 फसलों की खरीद को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया.
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने तत्काल राहत उपायों के तहत मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी द्वारा घोषित सूखा राहत योजना के तहत किसानों को प्रति एकड़ 2,000 रुपये का बोनस देते हुए 90 करोड़ रुपये जारी किए. यह निर्णय प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों से जूझ रहे धान किसानों को समर्थन देने के उद्देश्य से लिया गया. इस अवसर पर उन्होंने अलग-अलग सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा की और केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा शुरू की गई कल्याणकारी पहलों के प्रति किसानों में जागरूकता फैलाने पर भी जोर दिया.
कृषि मंत्री ने अधिकारियों को विभागीय संकल्पों (प्रतिबद्धताओं) की स्थिति रिपोर्ट देने और घोषित योजनाओं को समय पर लागू करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि कृषि उपकरणों के लिए प्रत्यक्ष सब्सिडी हस्तांतरण जल्द से जल्द किया जाए, ताकि किसान खुले बाजार से उपकरण खरीद सकें.
हरियाणा राज्य कृषि और विपणन बोर्ड के अधिकारियों को कृषि मंडियों (मंडियों) में किसानों और श्रमिकों के लिए सुविधाओं को बढ़ाने का निर्देश दिया गया. विपणन प्रणाली को आधुनिक बनाने के लिए अधिकारियों से राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) को बढ़ावा देने का आग्रह किया, जिससे किसान अपने उत्पाद पूरे भारत में ऑनलाइन बेच सकें.
कृषि मंत्री ने कहा कि पराली जलाने को रोकने के लिए आगे आने वाली ग्राम पंचायतों को नकद पुरस्कार देकर प्रोत्साहित किया जाएगा. अधिकारियों ने कृषि मंत्री को जानकारी दी कि किसानों को आर्थिक नुकसान से बचाने के लिए नकली बीज, कीटनाशक और उर्वरक बेचने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है.
श्याम सिंह राणा ने बताया कि हरियाणा एकमात्र ऐसा राज्य है जो पराली न जलाने वाले किसानों को प्रति एकड़ 1,000 रुपये देता है. इसके साथ ही, फसल अवशेषों को प्रभावी ढंग से निपटारा करने के लिए सब्सिडी वाले कृषि उपकरण भी वितरित किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि, "हमारा ध्यान किसानों को सशक्त बनाने, सब्सिडी वितरण में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और एक पर्यावरण-अनुकूल कृषि वातावरण बनाने पर है."
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