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Paan Ki Kheti: दिन में 11 बजे से पहले और शाम 3 बजे के बाद करें पान की रोपाई, जानिए क्यों

Paan Ki Kheti: दिन में 11 बजे से पहले और शाम 3 बजे के बाद करें पान की रोपाई, जानिए क्यों

पान की बेल की प्रत्येक गांठ पर जड़ें होती हैं, जो उचित समय पाकर अपनी जड़ें मिट्टी में फैला देती हैं जिससे बेलों में विकास शुरू हो जाता है. बीज रोपण के लिए पान की बेल से मध्य भाग की कटिंग ली जाती है, जो रोपण के लिए सही कटिंग होती है.

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पान की खेती के लिए जरूरी टिप्स पान की खेती के लिए जरूरी टिप्स

उत्तर भारत की बात करें तो यहां पान की खेती का काम 15 जनवरी के बाद शुरू होता है. पान की अच्छी खेती के लिए भूमि की गहरी जुताई करके भूमि को खुला छोड़ दिया जाता है. इसके बाद दो बार हल्की जुताई कर मेड़बंदी कर दी जाती है. यह प्रक्रिया 15-20 फरवरी तक पूरी हो जाती है. तैयार क्यारियों में पान की बेलों को फरवरी के अंतिम सप्ताह से 20 मार्च तक पंक्ति विधि से डबल बेलों के रूप में लगाया जाता है.

कैसे करें पान की खेती?

पान की बेल की प्रत्येक गांठ पर जड़ें होती हैं, जो उचित समय पाकर अपनी जड़ें मिट्टी में फैला देती हैं जिससे बेलों में विकास शुरू हो जाता है. बीज रोपण के लिए पान की बेल से मध्य भाग की कटिंग ली जाती है, जो रोपण के लिए सही कटिंग होती है. पान की बेल में अच्छा अंकुरण और वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए, पान की कलमों को घास से ढक दिया जाता है, अच्छी तरह से मल्च किया जाता है और तीन बार पानी छिड़का जाता है.

पान की खेती में रोपाई का समय

चूंकि मार्च से तापमान बहुत तेजी से बढ़ता है. इसलिए पौधों की सुरक्षा के लिए पानी देकर नमी पैदा की जाती है, ताकि बगीचों में नमी बनी रहे. पान की बेलों की सुरक्षा न की जाये तो बेलें गर्मी से जल्दी प्रभावित होती हैं और बेलें सिकुड़ जाती हैं और पत्तियां किनारों से झुलस जाती हैं, जिससे उत्पादन पर असर पड़ता है. इसलिए पान की अच्छी खेती के लिए सावधानी और अच्छी देखभाल की बेहद जरूरत होती है. वहीं पान की अच्छी खेती के लिए एक और जरूरी बात है जिसे ध्यान रखना बेहद जरूरी है. वो है सही समय पर पान की रोपाई. आपको बता दें पान की रोपाई का भी सही समय होता है. अगर किसान इस समय पान की रोपाई करते हैं तो उन्हें फायदा हो सकता है. 

कैसे लगाएं पान के पौधे?

बेल जून से मध्य जुलाई तक लगाई जाती है. दक्षिण बिहार में इसकी रोपाई मई से मध्य जून तक की जाती है. एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए 1.5 लाख लताएं सही मानी जाती हैं. इसकी रोपाई के लिए मेड़ से मेड़ के बीच की दूरी 80-100 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 10-20 सेमी. रखना सही माना जाता है. रोपाई सुबह 11 बजे से पहले और दोपहर 3 बजे के बाद करनी चाहिए. सभी क्यारी में एक स्थान पर 10-20 सेमी की दूरी पर 4-5 सेमी की गहराई पर तीन बेलें लगाएं. प्रत्येक क्यारी में पौधारोपण दो पंक्तियों में करना चाहिए. रोपाई के बाद पौध को अच्छे से दबाना जरूरी है. पान की बेलों को दो पंक्तियों में उल्टी दिशा में लगाया जाता है ताकि सिंचाई आसानी से हो सके. प्रत्येक क्यारी पर लगाए गए पान के बेलों को भीगे हुए पुआल की हल्की परत से ढक दिया जाता है ताकि हवा का संचार बना रहे और मिट्टी में नमी भी बनी रहे.

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पान की कितनी किस्में है?

पान की विभिन्न किस्मों को वैज्ञानिक रूप से पांच प्रमुख किस्म बांग्ला, मगही, सांची, देशवारी, कपूरी और मीठी पत्ती के रूप में जाना जाता है. यह पत्तियों की संरचना और पत्तों के रासायनिक गुणों के आधार पर किया गया है. रासायनिक गुणों में वाष्पशील तेल (volatile oil) सबसे अहम भूमिका निभाता है. यह सेहत के लिए भी फायदेमंद है. भोजन के बाद पान के पत्ते का सेवन करने से पाचन क्रिया सही रहती है.