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कृषि अधिकारियों ने जताई चिंता, इस राज्य में गेहूं के उत्पादन में आ सकती है बहुत अधिक गिरावट

कृषि अधिकारियों ने जताई चिंता, इस राज्य में गेहूं के उत्पादन में आ सकती है बहुत अधिक गिरावट

अधिकारियों ने कहा है कि जनवरी का महीना इस साल बिल्कुल सूखा रहा. इस महीने गेहूं की फसल प्रारंभिक चरण में थी. ऐसे में शुष्क मौसम के चलते गेहूं की फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. हालांकि, हाल की बारिश के कारण प्रभावित क्षेत्रों में संभावित सुधार का अनुमान है.

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हिमाचल में गेहूं का उत्पादन हो सकता है प्रभावित. (सांकेतिक फोटो) हिमाचल में गेहूं का उत्पादन हो सकता है प्रभावित. (सांकेतिक फोटो)

हिमाचल प्रदेश में इस साल सर्दी का मौसम लंबे समय तक शुष्क रहा है. इस दौरान कई जिलों में कई दिनों तक बिल्कुल बारिश नहीं हुई. ऐसे में कांगड़ा में कृषि विभाग ने सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में गेहूं उत्पादन में लगभग 5 से 7 प्रतिशत की गिरावट की संभावना जताई है. कांगड़ा के उप निदेशक (कृषि) राहुल कटोच ने कहा कि हाल ही में हुई बारिश के कारण गेहूं की फसल रिकवरी चरण में है. जिले में गेहूं की खेती 91,000 हेक्टेयर में फैली हुई है. अनुमान है कि इस साल 4,000 से 5,000 हेक्टेयर क्षेत्र सूखे से गंभीर रूप से प्रभावित हुई है. इसके चलते उत्पादन में थोड़ी गिरावट देखी जा सकती है.

हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने कहा है कि जनवरी का महीना इस साल बिल्कुल सूखा रहा. इस महीने गेहूं की फसल प्रारंभिक चरण में थी. ऐसे में शुष्क मौसम के चलते गेहूं की फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. हालांकि, हाल की बारिश के कारण प्रभावित क्षेत्रों में संभावित सुधार का अनुमान है. पहाड़ी राज्य का लगभग 80 फीसदी हिस्सा सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर है. यहां रबी सीजन में गेहूं एक प्रमुख अनाज की फसल है. इसके अलाव कांगड़ा के किसान मटर, मसूर और सरसों की भी खेती करते हैं. साथ ही कुछ अन्य सब्जियों की फसलें भी उगाई जाती हैं. 

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पीला रतुआ रोग से बचाने के लिए करें ये उपाय

कांगड़ा के उप निदेशक (कृषि) राहुल कटोच ने कहा कि हाल ही में हुई बारिश के कारण गेहूं की फसल रिकवरी चरण में है. हालांकि, आने वाले दिनों में, किसानों को पीला रतुआ की घटना के बारे में सतर्क रहने की जरूरत है. यदि इसके लक्षण दिखाई देते हैं, तो उन्हें फसल पर प्रोपिकोनाज़ोल 25 प्रतिशत ईसी @ 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी का छिड़काव करना चाहिए. विभाग ने जिले में फसलों की निगरानी के लिए चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पाल्मापुर के साथ मिलकर निगरानी टीमें भी गठित की हैं.

वहीं, कांगड़ा के उपायुक्त हेम राज बैरवा ने हाल ही में एक समीक्षा बैठक की, जिसमें जिले में कम बारिश के कारण फसलों को हुए नुकसान का आकलन करने और फसल बीमा योजना के तहत पंजीकृत किसानों को मुआवजा देने के लिए उचित कदम उठाने के निर्देश दिए गए.

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गेहूं की फसल में लगा रोग

बता दें कि पिछले महीने खबर सामने आई थी कि हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में गेहूं की खड़ी फसल में पीला रतुआ फफूंद रोग का प्रकोप देखने को मिल रहा है. इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है. किसानों का कहना है कि अगर समय रहते रोग पर काबू नहीं पाया गया तो फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंच सकता है. दरअसल, ऊना जिले को हिमाचल प्रदेश का 'भोजन का कटोरा' भी कहा जाता है. जिले में लगभग 60,000 हेक्टेयर कृषि भूमि है. रबी मौसम के दौरान किसान सबसे अधिक रकबे में गेहूं की खेती करते हैं.