जहां एक तरफ महाराष्ट्र की कई मंडियों में प्याज का न्यूनतम दाम गिरकर सिर्फ 1 और 2 रुपये किलो रह गया है वहीं कुछ मंडियों में न्यूनतम दाम ही 10 से लेकर 16 रुपये किलो तक पहुंच गया है. जिन मंडियों में आवक कम है वहां दाम ठीक मिल रहा है, लेकिन जहां बम्पर आवक है वहां पर दाम बहुत कम हो गया है. इसलिए अब किसानों को यह सलाह दी जा रही है कि वो प्याज को बेचने की बजाय स्टोर करें तो उनके लिए ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है. रबी सीजन का प्याज किसान अक्टूबर तक के लिए स्टोर कर सकते हैं. इस सीजन के प्याज को खरीफ की तरह बेचना मजबूरी नहीं है. हालांकि प्याज को स्टोर करने की क्षमता सभी किसानों के पास नहीं है.
महाराष्ट्र एग्रीकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि नागपुर जिले की हिंगणा मंडी में 15 मई को प्याज का न्यूनतम दाम 16 रुपये किलो रहा. सतारा मंडी में 15, चंद्रपुर और मंचर-लोनी में 12 और मुंबई में 13 रुपये किलो रहा. सोलापुर में 12275 क्विंटल प्याज की आवक हुई. इतनी अधिक आवक के कारण यहां किसानों को न्यूनतम दाम सिर्फ 1 रुपये किलो मिला. सोलापुर मंडी में ही किसानों को अधिकतम दाम 25 रुपये किलो मिला, जो राज्य में सबसे अधिक है.
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इस वक्त भले ही प्याज का दाम किसानों के मन मुताबिक नहीं मिल रहा है, लेकिन उत्पादन की स्थिति बताती है कि आगे चलकर दाम बढ़ सकते हैं क्योंकि इस साल कम उत्पादन का अनुमान है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार 2023-24 में प्याज का उत्पादन 254.73 लाख टन रहने का अनुमान है जो पिछले वर्ष के लगभग 302.08 लाख टन उत्पादन की तुलना में लगभग 47 लाख टन कम है. देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक महाराष्ट्र में पिछले साल से 34.31 लाख टन प्याज का कम उत्पादन होने का अनुमान लगाया गया है. इससे दाम बढ़ सकते हैं.
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