देश में महंगाई कम होने का नाम नहीं ले रही है. एक चीज सस्ती होती है, तब तक दूसरे खाद्य पदार्थ महंगे हो जाते हैं. अभी टमाटर के रेट में जैसे ही गिरावट शुरू हुई, वैसे ही प्याज महंगा हो गया. दिल्ली-एनसीआर सहित उत्तर भारत के कई शहरो में यह 50 से 60 रुपये किलो बिक रहा है. इससे आम जनता के किचन का बजट बिगड़ गया है. कहा जा रहा है कि मांग में बढ़ोतरी के कारण महाराष्ट्र के नासिक स्थित लासलगांव कृषि उपज मंडी समिति में प्याज की किल्लत हो गई है. इससे कीमत में इजाफा हो रहा है. व्यापारियों का कहना है कि प्याज की नई फसल आने के बाद ही इसकी कीमत में गिरावट आने की उम्मीद है.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मांग में बढ़ोतरी के कारण लासलगांव कृषि उपज मंडी समिति में प्याज का होलसेल रेट ही महंगा हो गया है. इससे रिटेल मार्केट में आते- आते प्याज 50 से 60 रुपये किलो बिक रहा है. कहा जा रहा है कि लासलगांव कृषि उपज मंडी समिति में पिछले तीन सप्ताह के अंदर प्याज काफी महंगा हुआ है. इसके औसत होलसेल कीमतों में 36 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. 3 अगस्त को प्याज की औसत होलसेल कीमत 2,750 रुपये प्रति क्विंटल थी, जो 22 अगस्त को बढ़कर 3,750 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है. खास बात यह है कि प्याज का ये रेट आठ महीने में सबसे ज्यादा है.
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एपीएमसी अधिकारियों के अनुसार, थोक मार्केट में ही आपूर्ति की तुलना में प्याज की मांग काफी बढ़ गई है. यही वजह है कि औसत होलसेल प्याज की कीमतों में वृद्धि हुई है. आमतौर पर लासलगांव कृषि उपज मंडी समिति में लगभग 15,000 क्विंटल रोज प्याज की आवक होती है, जो अब घटकर 7,000 क्विंटल प्रतिदिन रह गई है. अधिकारियों की माने तो किसान अभी खरीफ फसलों की बुवाई में व्यस्त हैं. इसलिए मंडियों में प्याज बेचने के लिए नहीं आ रहे हैं. इसके चलते मंडियों में प्याज की सप्लाई प्रभावित हुई.
वहीं, बागवानी उत्पाद निर्यातक संघ (एचपीईए) के उपाध्यक्ष विकास सिंह का भी कहना है कि मंडियों में प्याज की आवक में कमी आई है, क्योंकि अधिकांश किसान अपनी उपज नहीं बेच रहे हैं. इससे नासिक शहर में भी प्याज महंगा हो गया है. अभी रिटेल मार्केट में यह 50 रुपये किलो बिक रहा है.
कृषि एक्सपर्ट का कहना है कि देश में सबसे अधिक रबी प्याज का उत्पादन होता है. इसकी बुवाई दिसंबर-जनवरी में की जाती है, जबकि मार्च के बाद कटाई शुरू हो जाती है. ऐसे भी रबी प्याज की फसल आमतौर पर देश की कुल प्याज खपत का 72-75 प्रतिशत होती है. हालांकि, इस साल रबी प्याज के रकबे में काफी गिरावट आई है, इससे उत्पादन प्रभावित हुआ है. साल 2023 में 1.23 मिलियन हेक्टेयर की तुलना में इस साल केवल 756,000 हेक्टेयर में ही रबी प्याज की बुवाई की गई. ऐसे में केंद्र सरकार ने लगभग 19.1 मिलियन टन रबी प्याज के उत्पादन का अनुमान लगाया था, जिससे घरेलू मांग को पूरा करने की उम्मीद थी. लेकिन ऐसी नहीं हुआ, उत्पादन में गिरावट आने से आपूर्तिक प्रभावित हुई.
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