केंद्र सरकार उपभोक्ताओं को खुश करने के लिए चुनाव पूरा होने तक प्याज की निर्यात बंदी जारी रख सकती है, क्योंकि महंगा प्याज होने पर कई बार सरकार तक गिर गईं हैं. हालांकि इससे लाखों किसानों को बड़ा नुकसान होगा. इसलिए जब से यह फैसला आया है कि 31 मार्च 2024 के बाद भी निर्यात बंदी लागू रहेगी तब से किसान गुस्से में हैं. खासतौर पर महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक किसानों में सरकार के खिलाफ आक्रोश है. इसलिए वो लोकसभा चुनाव को लेकर बड़ा फैसला ले सकते हैं. महाराष्ट्र कांदा उत्पादक संगठन कल तक किसानों को अपना कोई फैसला सुना सकता है. किसानों का मानना है कि जब सरकार चुनाव में उनकी परवाह नहीं कर रही है तो बाद में क्या करेगी.
निर्यात बंदी होने की वजह से किसानों को पूरे खरीफ सीजन में प्याज की बहुत कम कीमत मिली है. केंद्र ने 7 दिसंबर 2023 को निर्यात बंदी लागू की थी तब खरीफ सीजन वाला प्याज खेतों से निकलना शुरू हुआ था. जिससे दाम इतना कम हो गया था कि किसान अपनी लागत भी नहीं निकाल पाए. महाराष्ट्र कांदा उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि हर किसान को खरीफ सीजन में औसतन तीन लाख रुपये तक का नुकसान हुआ है.
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दिघोले का कहना है कि अब सरकार ने 31 मार्च 2024 से आगे भी प्याज निर्यात पर प्रतिबंध जारी रखने का फैसला लिया है तो इससे रबी सीजन भी किसानों के लिए बेकार हो सकता है. क्योंकि निर्यात नहीं होगा तो घरेलू बाजार में आवक बढ़ेगी और उससे दाम कम हो जाएगा. जब हमारे हितों पर इस तरह से चोट की जा रही है तो हम चुप नहीं बैठेंगे. चुनाव में क्या करना है इसका फैसला लेंगे. संगठन अपील कर सकता है कि जिन पार्टियों ने किसानों को नुकसान पहुंचाया है उन्हें चुनाव में वोट की चोट से सबक सिखाया जाए.
केंद्र सरकार अगर चुनावी सीजन में प्याज जैसी जरूरी चीज का निर्यात बंद करके इसकी कीमतों पर नियंत्रण रखना चाहती है तो इसमें निश्चित तौर पर बड़ी मजबूरी होगी. ऐसा बाजार के जानकारों का मानना है. वजह यह है कि पहले कई बार प्याज के ज्यादा दाम की वजह से सरकारें गिर गईं हैं. इसलिए ऐसे उम्मीद जताई जा रही है कि लोकसभा चुनाव पूरा होने तक निर्यात बन्दी जारी रह सकती है. अब देखना यह है कि सरकार के इस फैसले के खिलाफ कल महाराष्ट्र कांदा उत्पादक संगठन चुनाव को लेकर क्या फैसला लेता है.
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