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ये कटनी-छंटनी क्या है जिससे परेशान हैं ओडिशा के किसान, नहीं मिल रहा उपज का सही दाम

ये कटनी-छंटनी क्या है जिससे परेशान हैं ओडिशा के किसान, नहीं मिल रहा उपज का सही दाम

धनपुर गांव के एक किसान गुरु सुकरी ने कहा कि हमारे पास मिल मालिकों को अतिरिक्त धान का भुगतान करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि मंडियों में कोई अधिकारी नहीं है, जिसके सामने हम अपनी शिकायत रख सकें.

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ओडिशा में धान खरीदी के नियम से किसान परेशान. (सांकेतिक फोटो) ओडिशा में धान खरीदी के नियम से किसान परेशान. (सांकेतिक फोटो)

ओडिशा के कोरापुट जिले में धान खरीद के नाम पर किसानों की मजबूरी का फायदा उठाया जा रहा है. मंडियों में व्यापारी ‘कटनी-छटनी’ के नाम पर किसानों से प्रति क्विंटल 4 से 6 किलो तक अतिरिक्त धान ले रहे हैं. इससे किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है. खास बात यह है कि भाजपा ने चुनाव से पहले किसानों से वादा किया था कि सत्ता में आने पर  ‘कटनी-छटनी’ प्रथा को खत्म कर दिया जाएगा. लेकिन प्रदेश में बीजेपी की सरकार बन जाने के बाद भी कोरापुट जिले में यह प्रथा जारी है. इस प्रथा के चलते जिले के किसान रबी खरीद सत्र में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं.

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, किसानों का आरोप है कि मिल मालिक अनाज की अच्छी गुणवत्ता होने के बावजूद जबरन प्रति क्विंटल 4 से 6 किलोग्राम अतिरिक्त धान खरीद रहे हैं. सूत्रों ने बताया कि जिले में रबी धान की खरीद पहले से ही धीमी गति से चल रही है और 15 जून तक केवल 442 किसानों ने 3,663 मीट्रिक टन धान बेचा है. किसानों ने कहा कि वे भाजपा सरकार द्वारा वादा किए गए मौजूदा 2,183 रुपये से बढ़कर 3,100 रुपये के बढ़े हुए समर्थन मूल्य पर अपना धान मंडियों में बेचने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन इस संबंध में अभी तक कोई स्पष्टता नहीं मिलने के कारण उनके पास खुले बाजार में अपना स्टॉक बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है.

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6 किलो लेते हैं अतिरिक्त धान

इस बीच, ‘कटनी-छटनी’ प्रक्रिया ने अधिकांश किसानों को परेशान कर दिया है, जिससे खरीद प्रक्रिया में और देरी हो रही है. किसानों ने आरोप लगाया कि मिल मालिक खराब गुणवत्ता के बहाने अवैध रूप से 4 से 6 किलो अतिरिक्त धान की मांग कर रहे हैं, लेकिन चूंकि इस मुद्दे को हल करने के लिए कोई अधिकारी नहीं है, इसलिए यह मुद्दा अनसुलझा है. सोमवार को, इस मुद्दे पर अंता गांव के एक खरीद केंद्र पर किसानों और मिल मालिकों के बीच कथित तौर पर झगड़ा हुआ है.

किसान हैं लाचार

धनपुर गांव के एक किसान गुरु सुकरी ने कहा कि हमारे पास मिल मालिकों को अतिरिक्त धान का भुगतान करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि मंडियों में कोई अधिकारी नहीं है, जिसके सामने हम अपनी शिकायत रख सकें. कोरापुट मिलर्स एसोसिएशन के एक मिलर नेता ने इसे सही ठहराते हुए कहा कि किसानों द्वारा आपूर्ति की गई धान खराब गुणवत्ता की है और कस्टम मिलिंग के दौरान कम उत्पादन देती है. हालांकि, कोरापुट के मुख्य जिला नागरिक आपूर्ति अधिकारी पीके पांडा ने दावा किया कि जिले में खरीद प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है.

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