अब भारत की धरती पर उगेगा दुनिया का सबसे महंगा बादाम, इन राज्य में होगी खेती

अब भारत की धरती पर उगेगा दुनिया का सबसे महंगा बादाम, इन राज्य में होगी खेती

अब भारत की धरती पर उगेगा दुनिया का सबसे महंगा बादाम, दुनिया का सबसे महंगा बादाम मैकाडामिया नट का पेड़ एशिया के सबसे बड़े कृषि विश्वविद्यालय पंतनगर विश्वविद्यालय में उगा है.

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अब भारत की धरती पर उगेगा दुनिया का सबसे महंगा बादाम, इन राज्य में होगी खेतीये है दुनिया का सबसे महंगा नट्स

उत्तराखंड में फलों की दुनिया के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है. जहां एशिया के सबसे बड़े कृषि विश्वविद्यालय पंतनगर में आयोजित प्रदर्शनी में एक ऐसा फल का पेड़ आया है जिसने सभी को हैरान कर दिया है. इस पेड़ के बारे में जानकर लोग हैरान हैं. दुनिया के सबसे महंगे बादाम मैकाडामिया नट की खेती अब भारत में होगी, जिसकी शुरुआत उत्तराखंड में होने जा रही है. प्रदर्शनी में एक नर्सरी में बादाम की इस ऑस्ट्रेलियाई प्रजाति के 25-30 साल पुराने मदर प्लांट को भारत लाकर यहां की जलवायु के अनुरूप विकसित किया गया है. देश में पहली बार किसान मेले में शायन एग्रो नर्सरी के स्टॉल पर मैकाडामिया नट के पौधे उपलब्ध हैं. आपको बता दें कि हर साल की तरह इस साल भी नेपाल, भूटान और बांग्लादेश में इस बादाम की सफल खेती के बावजूद भारत में इस बादाम का एक भी पौधा उधम सिंह के पंतनगर विश्वविद्यालय में लगाए गए प्रदर्शनी शायना एग्रो नर्सरी में नगर स्टॉल में नहीं था.

उन्होंने 25 से 30 साल पुराने मातृ पौधों से यहां की जलवायु के अनुकूल पौधे विकसित किए हैं. इन पौधों के लिए -3 से 45 डिग्री तक का तापमान उपयुक्त होता है. इसके पौधों को पानी की आवश्यकता होती है लेकिन पानी का जमाव हानिकारक होता है. इसकी खेती तराई और पहाड़ी ढलानों में बहुत उपयुक्त मानी जाती है.

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-3 से 45 डिग्री तक तापमान है उपयुक्त

स्वामी कृष्ण कुमार ने बताया कि मेले में इन पौधों के लिए -3 से 45 डिग्री तक का तापमान उपयुक्त है. ये दुनिया का सबसे महंगा बादाम है. इसमें आयरन और कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है. इस बादाम की खेती नेपाल, भूटान, बांग्लादेश में सफलतापूर्वक होने के बावजूद भारत में इसका एक भी पौधा नहीं था, लेकिन अब यह पौधा भारत में भी उगेगा.

क्यों हैं ये बादाम इतना महंगा

बिजनेस इनसाइडर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस बादाम के महंगे होने का मुख्य कारण यह है कि फलों को तैयार होने में काफी समय लगता है. एक पेड़ 7 से 10 साल बाद ही फल देना शुरू करता है. इसके अलावा दूसरा कारण यह है कि मैकाडामिया नट के पेड़ों की कुल 10 प्रजातियाँ हैं, लेकिन केवल दो प्रकार के पेड़ों से ही यह बादाम पैदा होता है. इस वजह से मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो पा रही है. मैकाडामिया नट के पेड़ सबसे पहले उत्तर-पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में पाए गए थे. उन इलाकों में रहने वाले आदिवासी लोग इनका सेवन करते थे और इसका नाम था किंडल-किंडल. लेकिन अंग्रेजों ने इस खास बादाम के पेड़ का नाम डॉ. जॉन मैकाडम के नाम पर मैकाडामिया नट्स रखा गया. 


 
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