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एक हेक्टेयर में 100 क्विंटल पैदावार देगी गेहूं की यह वैराइटी, क‍िसानों को होगा बंपर मुनाफा

एक हेक्टेयर में 100 क्विंटल पैदावार देगी गेहूं की यह वैराइटी, क‍िसानों को होगा बंपर मुनाफा

Advisory for Wheat Cultivation: पूसा के कृष‍ि वैज्ञान‍िकों ने बताया क‍ि क‍िसान इस समय एचडी 3385, एचडी 3386, एचडी 3298, एचडी 2967, एचडी 3086, डीबीडब्ल्यू 370, डीबीडब्ल्यू 371, डीबीडब्ल्यू 372 और डीबीडब्ल्यू 327 की बुवाई कर सकते हैं. बीज की मात्रा 100 क‍िलोग्राम प्रति हेक्टेयर लगेगी. जान‍िए इन क‍िस्मों की खास‍ियत क्या है? 

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गेहूं की पांच प्रमुख क‍िस्मों के बारे में जान‍िए. गेहूं की पांच प्रमुख क‍िस्मों के बारे में जान‍िए.

रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं की बुवाई का समय चल रहा है. हर क‍िसान साथी चाहता है क‍ि उसको अध‍िक से अध‍िक पैदावार म‍िले ताक‍ि खेती से अच्छा मुनाफा म‍िले. लेक‍िन, ऐसा तब होगा जब अच्छी क‍िस्मों के बीजों का चयन होगा और सही समय पर खाद-पानी म‍िलेगा. पूसा के कृष‍ि वैज्ञान‍िकों ने क‍िसानों के ल‍िए जारी एक एडवाइजरी में कहा है क‍ि वे मौसम को ध्यान में रखते हुए, गेंहू की बुवाई के ल‍िए तैयार खेतों में पलेवा तथा उन्नत बीज व खाद की व्यवस्था करें. पलेवे के बाद यदि खेत में ओट आ गई हो तो उसमें गेहूं की बुवाई कर सकते हैं. 

सिंचित पर‍िस्थ‍ित‍ियों के ल‍िए एचडी 3385, एचडी 3386, एचडी 3298, एचडी 2967, एचडी 3086, डीबीडब्ल्यू 370, डीबीडब्ल्यू 371, डीबीडब्ल्यू 372 और डीबीडब्ल्यू 327 की बुवाई कर सकते हैं. बीज की मात्रा 100 क‍िलोग्राम प्रति हेक्टेयर लगेगी. जिन खेतों में दीमक का प्रकोप हो उनमें क्लोरपाईरिफॉस 20 ईसी @ 5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से पलेवा के साथ दें. नाइट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटाश उर्वरकों की मात्रा 120, 50 व 40 क‍िलोग्राम प्रति हेक्टेयर होनी चाहिए.

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प्रमुख क‍िस्मों की खास‍ियत 

  • एचडी 3385 गेंहू की किस्म को पूसा, नई दिल्ली ने व‍िकस‍ित क‍िया है. यह किस्म ज्यादा तापमान में भी अच्छी पैदावार देती है. इसकी उपज क्षमता लगभग 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. अगर समय पर इसकी बुआई की जाए तो अनुकूल परिस्थितियों में प्रति हेक्टेयर 80 से 100 क्विंटल तक की पैदावार म‍िल सकती है. 
  • गेहूं की एक बेहतरीन क‍िस्म एचडी 3386 भी है. कृषि मंत्रालय की सेंट्रल सीड कमेटी द्वारा हाल ही में अप्रूव्ड यह ेक‍िस्म पीलेपन और पत्ती रतुआ रोगों के प्रति प्रतिरोधी है, जो मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिम पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के प्रमुख गेहूं उत्पादक क्षेत्रों में पाए जाते हैं. 
  • गेहूं की एक और अच्छी क‍िस्म एचडी 3086 (पूसा गौतमी) भी है. देश के उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र में समय पर बुवाई और सिंचित परिस्थितियों में व्यावसायिक खेती के लिए यह बेहतरीन क‍िस्म है. इसकी औसत उपज 54.6 क्व‍िंटल प्रत‍ि हेक्टेयर है. सिंचित परिस्थितियों में अगर समय पर बुवाई हो तो 71 क्व‍िंटल प्रत‍ि हेक्टेयर की उपज होगी. यह क‍िस्म पीला रतुआ और भूरा रतुआ के लिए प्रतिरोधी है.  
  • एचडी 2967 की बुवाई पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (उदयपुर और कोटा डिवीजन को छोड़कर) और उत्तर प्रदेश में कर सकते हैं. इसका औसत उत्पादन 50.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और उपज क्षमता 66.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. यह गेहूं की अगेती किस्म है. इसमें रोग कम लगते हैं. इस किस्म के गेहूं में पीला रतुआ रोग से लड़ने की क्षमता होती है, जो गेहूं का सबसे खतरनाक रोग है. 
  • भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने डीबीडब्ल्यू 370 (करण वैदेही), डीबीडब्ल्यू 371 (करण वृंदा) और डीबीडब्ल्यू 372 (करण वरुणा) नाम से बायो फोर्टिफाइड किस्में व‍िकस‍ित की हैं. यह गर्मी सहनशील करने वाली क‍िस्में हैं. डीबीडब्ल्यू 370 की उत्पादन क्षमता 86.9 क्विंटल और औसत उपज 74.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. यह 151 दिन में पक जाती है. इस किस्म में प्रोटीन कंटेंट 12 प्रतिशत, जिंक 37.8 पीपीएम और लौह तत्व 37.9 पीपीएम है. 

बुवाई से पहले क्या करें 

अधिक उपज लेने के लिए अच्छी किस्म का प्रमाणित गेहूं ही बोना चाहिए. अच्छे पैदावार के ल‍िए बीज की गुणवत्ता को बनाए रखना बहुत जरूरी है. इसके ल‍िए बीजोपचार करना चाह‍िए. बीज उपचार न किया जाए तो बहुत से रोगों के आक्रमण होने का खतरा बना रहता है. बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम थाइरम या 2.5 ग्राम मैन्कोजेब या टेबुकोनोजोल 1 ग्राम प्रत‍ि क‍िलोग्राम बीज से उपचारित करना चाहिए. 

कृष‍ि वैज्ञान‍िकों के मुताब‍िक हाथों में रबर के दस्ताने पहनकर दवा के घोल को अच्छी प्रकार से बिजाई की पहली शाम को गेहूं में मिला दें. फफूंदनाशी या जीवाणुनाशी या परजीवियों का उपयोग करके उपचार कर सकते हैं. बीज उपचार करने के बाद गेहूं की फसल करनाल बंट और लूज स्मट जैसी बीमारियों से बच सकती है.  

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