केंद्र सरकार ने एक अहम फैसला लेते हुए बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP-Minimum Export Price) अगले आदेश तक 1,200 डॉलर प्रति टन ही जारी रखने का फैसला किया है. जबकि, 25 सितंबर को केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ ऑनलाइन मीटिंग के बाद अब तक एक्सपोर्टर इसे 850 से 900 डॉलर प्रति टन होने की उम्मीद पाले बैठे थे. एक्सपोर्टरों का कहना है कि इतनी भारी भरकम एमईपी से एक्सपोर्ट प्रभावित हो रहा है और पाकिस्तान हमारा बाजार बिगाड़ रहा है, क्योंकि उसका बासमती चावल सस्ता है. बहरहाल, इन तर्कों को दरकिनार करते हुए सरकार ने निर्यातकों द्वारा इसे 900 डॉलर प्रति टन करने की मांग खारिज कर दी है.
सूत्रों ने कहा कि मौजूदा एमईपी को जारी रखने का निर्णय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में मंत्रियों की एक समिति ने लिया था. खाद्य मंत्रालय ने एक पत्र में कहा है कि “बासमती चावल के लिए पंजीकरण एचं आवंटन प्रमाणपत्र की वर्तमान व्यवस्था 15 अक्टूबर, 2023 से अगले आदेश तक जारी रह सकती है.” इस फैसले निर्यातकों में निराशा और गुस्सा दोनों है. क्योंकि इससे एक्सपोर्ट पर बुरा असर पड़ रहा है. जबकि सरकार चावल की महंगाई को काबू में रखना चाहती है इसलिए वो ऐसी कोशिश कर रही है कि चावल का कम से कम एक्सपोर्ट हो.
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राइस मिलर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के एक पदाधिकारी का कहना है कि 1200 डॉलर की एमईपी की वजह से देश को काफी नुकसान हो रहा है. एक्सपोर्ट के लिए एमईपी की यह शर्त 25 अगस्त को लगाई गई थी. टर्की के इस्तांबुल में लगे इंटरनेशनल फूड फेयर से इंडिया के लिए कोई आर्डर नहीं मिला. आरोप है कि ऐसा इतनी अधिक एमईपी की वजह से हुआ. क्योंकि हमारा प्रतिद्वंदी पाकिस्तान हमसे सस्ता बासमती बेच रहा है. भारत ने पिछले साल अब तक का रिकॉर्ड बासमती चावल एक्सपोर्ट किया था. हमने 4.5 मिलियन टन बासमती निर्यात किया था, जिसके बदले हमें 38,500 करोड़ रुपये मिले थे.
एक्सपोर्टरों का कहना है कि बासमती चावल का आधा उत्पादन एक्सपोर्ट हो जाता है. जबकि बाकी आधा घरेलू स्तर पर खर्च होता है. चूंकि इसे प्रीमियम पर बेचा जाता है, इसलिए इसका खाद्य सुरक्षा से कोई संबंध नहीं है. सूत्रों का कहना है कि अक्टूबर 2022 से जनवरी 2023 तक बासमती चावल 998 से 1,048.82 डॉलर प्रति टन तक के भाव पर एक्सपोर्ट हुआ है. इस बीच आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद पद्मश्री विक्रमजीत सिंह साहनी ने भी केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर बासमती चावल की 1200 डॉलर एमईपी पर पुनर्विचार का अनुरोध किया है. लेकिन, सरकार अपने फैसले पर अड़ी हुई है.
दरअसल, सरकार में बैठे कुछ लोगों का मानना है कि बासमती चावल की आड़ में गैर-बासमती सफेद चावल का अवैध निर्यात करने के मामले सुनने में आ रहे थे. घरेलू बाजार में दाम कम करने के मकसद ने सरकार ने इस कैटेगरी के चावल एक्सपोर्ट पर 20 जुलाई से ही प्रतिबंध लगाया हुआ है. ऐसी किसी भी आशंका को दूर करने और अवैध निर्यात को रोकने के लिए यह फैसला किया गया. इसीलिए 1,200 डॉलर प्रति टन से कम दाम के बासमती चावल के निर्यात की अनुमति नहीं देने का आदेश हुआ. केंद्र सरकार ने शुक्रवार को उबले चावल के एक्सपोर्ट पर लगे 20 फीसदी शुल्क की व्यवस्था को भी 31 मार्च 2024 तक जारी रखने का फैसला किया है.
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