लहसुन की बढ़ती महंगाई के बीच डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय, अकोला ने पहली बार सफेद लहसुन की एक नई किस्म का विकास किया है. महाराष्ट्र सरकार ने इस किस्म को मंजूरी दे दी है.इस किस्म का नाम "पीडीकेवी पूर्णा" रखा गया है. इस किस्म को जल्द ही केंद्र सरकार द्वारा मंजूरी दिए जाने की उम्मीद है. जिससे देश में इस किस्म की खेती का रास्ता साफ हो जाएगा. इस वक्त लहसुन का दाम बाजार में 500 रुपये किलो तक पहुंच गया है. इस बीच नई किस्म की अच्छी खबर किसानों को मिली है, जिसमें ज्यादा पैदावार की उम्मीद है.
पंजाबराव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय के माध्यम से यहां लहसुन की इस कंदीय फसल पर चार साल से शोध किया जा रहा था. यह कृषि विश्वविद्यालय अब तक विभिन्न फसलों की 181 किस्मों का विकास कर चुका है. लेकिन लहसुन पर यह पहला शोध है. पीडीकेवी पूर्णा' किस्म की उपज 120 से 125 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जो राज्य में उपलब्ध लहसुन की गोदावरी, श्वेता और भीमा लाल किस्मों से 15 क्विंटल अधिक है.
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लहसुन की इस किस्म का परीक्षण देश के 17 अनुसंधान केंद्रों पर किया गया है. और इस परीक्षण में यह किस्म सर्वश्रेष्ठ बनकर उभरी है. यह निष्कर्ष निकाला गया कि यह किस्म महाराष्ट्र के साथ-साथ गुजरात और मध्य प्रदेश के लिए भी अधिक उपयोगी साबित होगी. वर्तमान में उपलब्ध लहसुन की किस्मों में इतनी पैदावार नहीं है. लेकिन वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि पीडीकेवी पूर्णा बंपर पैदावार देगी और इससे किसानों की कमाई बढ़ेगी.
पंजाबराव कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई यह किस्म प्रति हेक्टेयर 120 से 125 क्विंटल उपज देगी. ऐसा दावा किया गया है. यह किस्म राज्य द्वारा अनुशंसित है. जल्द ही केंद्र सरकार की ओर से भी इस पर मुहर लगने की संभावना है. मिर्च एवं सब्जी अनुसंधान केंद्र के प्रमुख एसएम घावडे ने उम्मीद जताई है कि लहसुन की नई किस्म किसानों की कमाई बढ़ाने में मददगार साबित होगी.
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