देश के अंदर मौजूदा समय में लोगों के बीच मशरूम की मांग काफी बढ़ गई है. लोग मशरूम को काफी तेजी से अपने आहार में शामिल करने लगे हैं. क्योंकि मशरूम खाने में काफी स्वादिष्ट होता है. साथ ही ये कई पोषक तत्वों से भी भरपूर होता है. मौजूदा समय में इन सभी गुणों के के कारण बाजार में इसकी हमेशा मांग बनी रहती है. मशरूम उत्पादन और आय के लिहाज से किसानों के लिए फायदे का सौदा है. भारत में अब मशरूम की डिमांड तेजी से बढ़ रही है. पहले ये शहरी लोगों तक सीमित था, लेकिन अब ये मशरूम गांवों तक भी पहुंच गया है. आज बिना इसकी सब्जी के कोई भी प्रोग्राम पूरा नहीं माना जाता है. ऐसे में इसकी खेती से भी किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. मशरूम की अधिक पैदावार लेने के लिए किसानों को उसको सही समय पर खेती और अच्छी किस्मों का चयन करना बेहद जरूरी है, इसकी कुछ ऐसी किस्में हैं, जिसमें न कीट लगते हैं और न ही रोग होता है. इन किस्मों की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
मशरूम की खेती का सबसे बड़ा फायदा तो ये है कि इसके लिए आपको मिट्टी की जरूरत नहीं, बल्कि प्लास्टिक के बड़े-बड़े बैगों, कंपोस्ट खाद, धान और गेहूं का भूसा इसे उगाने के लिए काफी है. अगर आप इसे उगाना चाहते हैं तो सबसे पहले छोटी जगह पर शेड़ लगाकर उसे लकड़ी और जाल से कवर कर के उदाहरण के तौर पर ऐसा कर के देख सकते हैं. वहीं अगर आप इसे घर में उगाना चाहते हैं तो सबसे पहले एक प्लास्टिक के बैग में कंपोस्ट खाद के साथ धान-गेहूं का भूसा मिलकार रख लें. फिर कंपोस्ट से भरे बैग में मशरूम के बीज को डालें और इसमें छोटे-छोट छेद कर दें, इन्हीं छेदों की मदद से मशरूम उगने के साथ ही बाहर निकल आएंगे.
बटन मशरूम मशरूम का सबसे आम प्रकार है, जिसे सफेद मशरूम या बेबी मशरूम और खेती वाले मशरूम के रूप में भी जाना जाता है. इन मशरूमों को कच्चा या पकाकर खाया जा सकता है, ज्यादातर सलाद, सूप और पिज़्ज़ा टॉपिंग में शामिल किया जाता है. बटन मशरूम की खेती 16 वीं शताब्दी में शुरू हुई.मशरूम के कुल वार्षिक उत्पादन में से 85% बटन मशरूम का है.
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ये मशरूम ऑयस्टर की तरह दिखते हैं इसलिए इन्हें ऑयस्टर मशरूम कहा जाता है.ये तीसरी सबसे अधिक खेती की जाने वाली मशरूम हैं. इन मशरूमों का शरीर प्रजाति के आधार पर सफेद, क्रीम, ग्रे, गुलाबी, पीले रंग के विभिन्न रंगों के साथ खोल या स्पैटुला जैसा होता है. ऑयस्टर मशरूम तीसरा सबसे बड़ा उगाया जाने वाला मशरूम है. इन्हें सड़ती हुई लकड़ी पर उगाना या खेती करना आसान है. इन मशरूमों का स्वाद हल्का और मीठा होता है और इनकी बनावट मखमली होती है. ऑयस्टर मशरूम का एक अन्य प्रकार किंग ऑयस्टर मशरूम है. ये मोटे सफेद तने के ऊपर उगाए जाते हैं और इनमें सख्त मांसल बनावट होती है.
ये मशरूम एशियाई खाना पकाने में सबसे आम हैं. वे लंबे तने और छोटी टोपी वाले छोटे मशरूम के बड़े लटकन में आते हैं. इन्हें एनोकिटेक या विंटर मशरूम या गोल्डन सुई मशरूम भी कहा जाता है. एनोकिस को मनभावन फल स्वाद के लिए जाना जाता है. ये दो प्रकार के होते हैं, जंगली और खेती योग्य. ये मशरूम विटामिन बी1, बी2, बी3, बी5, आयरन, कैल्शियम, कॉपर, फॉस्फोरस और सेलेनियम से भरपूर होते हैं.
ये बटन मशरूम जैसी ही प्रजाति के होते हैं, लेकिन भूरे रंग, मजबूत बनावट और थोड़ा तीव्र स्वाद वाले होते हैं। इन्हें क्रिमिनी मशरूम भी कहा जाता है. इन मशरूमों को अक्सर बेबी बेला या बेबी पोर्टोबेलो मशरूम कहा जाता है।
इन मशरूमों को बीच ब्राउन मशरूम और बुना शिमेजी भी कहा जाता है. ये समुद्र तट के मृत पेड़ों पर उगाए जाते हैं. शिमजिस पूर्वी एशिया के मूल निवासी हैं लेकिन उत्तरी यूरोप में भी पाए जाते हैं. कच्चा खाने पर ये थोड़े कड़वे होते हैं और पकने पर कैप्स कुरकुरे अखरोट जैसा स्वाद देते हैं.वे व्यंजनों में भरपूर उमामी स्वाद जोड़ते हैं.
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