वर्तमान में विभिन्न राज्यों के किसान तेजी से रबी सीजन की प्रमुख फसलों की कटाई कर रहे हैं, ताकि अब खरीफ की बुवाई की तैयारी की जा सके. वहीं, कई किसानों ने अपने खेतों में जायद सीजन की फसलों की बुवाई कर रखी है, जिनकी कटाई में अभी थोड़ा समय है और ये किसान थोड़ी देरी से यानी यानी जून से जुलाई के बीच खरीफ फसलों की बुवाई करेंगे. ऐसे में आज जानिए खरीफ की प्रमुख तिलहन फसल सोयाबीन की तीन किस्मों में बारे में, जिनसे आप अच्छी पैदावार हासिल कर सकते हैं…
केंद्र सरकार विभिन्न राज्यों में सोयाबीन का उत्पादन बढ़ाकर खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए काम रही है. पिछले मॉनसून सीजन में अच्छी बारिश के चलते सोयाबीन का बंपर उत्पादन हुआ था. इनमें सबसे आगे मध्य प्रदेश, दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र और तीसरे नंबर पर राजस्थान शामिल था.
वहीं, अब इस साल फिर से मॉनसून सामान्य रहने वाला है यानी अच्छी बारिश होगी और खरीफ फसलों के बंपर उत्पादन का अनुमान है. ऐसे में एक बार फिर किसानों के पास सोयाबीन की अच्छी फसल लेने का मौका है. किसान सोयाबीन की बुआई जून के पहले हफ्ते से लेकर जुलाई मध्य तक कर सकते हैं, लेकिन जून से जुलाई मध्य तक का समय बेस्ट माना जाता है.
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सोयाबीन की बीएस 6124 किस्म प्रति हेक्टेयर लगभग 20-25 क्विंटल पैदावार देने में सक्षम है. इसकी बुवाई के लिए प्रति एकड़ 35-40 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है. वहीं, यह फसल मात्र 90-95 दिन यानी लगभग तीन महीने में में पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म की पहचान इसके बैंगनी रंग के फूल और लम्बे पत्तों से की जा सकती है.
सोयाबीन की जेएस 2034 किस्म खासकर मध्य प्रदेश के किसानों के लिए बेस्ट है, जिसकी बुवाई 15 जून से 30 जून तक करने पर अच्छे परिणाम मिलते हैं. हालांकि, इस यह कम बारिश वाले इलाकों में बुवाई के लिए भी एक अच्छी किस्म है, जिससे विपरीत परिस्थितियाें में उच्च उत्पादन हासिल किया जा सकता है.
यह किस्म तीन महीने से भी कम समय यानी 80 से 85 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. सफेद फूल, पीले दाने और चपटी फलियां इस किस्म की पहचान हैं. किसान भाई/बहन इस किस्म की बुवाई कर प्रति हेक्टेयर 24 से 25 क्विंटल तक पैदावार ले सकते हैं. इसकी बुवाई में प्रति एकड़ 30 से 35 किलाेग्राम बीज लगते हैं.
सोयाबीन की JS 2069 किस्म 85 से 94 दिन में पककर 22 से 26 क्विंटल तक पैदावार देने में सक्षम है. इसकी बुवाई के लिए प्रति एकड़ 40 किलोग्राम बीज लगते हैं. इस किस्म के दाने चमकदार होते हैं, जबकि इसके फूल सफेद होते हैं, जो बुवाई के 40 दिन बाद उग जाते हैं. वहीं रोगों और कीटों के प्रति प्रतिरोधी क्षमता की बात करें तो यह किस्म येलो मोजेक, सड़ांध, झुलसा, बैक्टीरियल स्पॉट, स्टेम फ्लाई, व्हील बीटल और लीफ ईटर जैसे रोगों और कीटों के प्रति प्रतिरोधी और सहनशील है.
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