उत्तर प्रदेश देश में सबसे ज्यादा आम का उत्पादन करता है. यहां पर एक से बढ़कर एक आम की किस्म मौजूद हैं. लखनऊ के मलिहाबाद को दशहरी आम की फल पट्टी के रूप में जाना जाता है. मलिहाबाद की फल पट्टी को सबसे ज्यादा समृद्ध करने का काम पद्मश्री से सम्मानित कलीमुल्लाह खान (Mango man) ने किया है. उन्होंने अब तक 300 से ज्यादा वैरायटी के आम को विकसित किया है. उन्होंने 120 साल पुराने एक आम के पेड़ को दुनिया का सबसे बड़ा आम का कॉलेज बनाने में सफलता हासिल की है. आम के इस पेड़ पर 300 से ज्यादा वैरायटी के आम के फल लगते हैं. अभी तक देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी एक पेड़ पर इतनी किस्मों के फल प्राप्त करने में शायद ही किसी को सफलता मिली हो. उनके इस काम के चलते ही 2008 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित जा चुका है.
पद्मश्री से सम्मानित कलीमुल्लाह खान(Mango man) ने किसान तक को बताया कि जब वह 12 साल के थे तो उन्होंने अपने अब्बू से आम की कलम का हुनर सीखा. वे सातवीं तक पढ़े हैं लेकिन उनके हुनर का आज पूरा विश्व लोहा मानता है. उन्होंने सबसे पहले एक पेड़ पर 7 अलग-अलग तरह के आम के फल को प्राप्त करने में सफलता हासिल की. हालांकि यह पेड़ आंधी में टूट गया लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. उन्होंने फिर 1987 से लगातार प्रयास किया और अपने पिता द्वारा लगाए गए 120 साल पुराने आम के पेड़ पर 300 किस्म के आम को पैदा करने में सफलता हासिल की. इस अनोखे पेड़ को दुनिया का सबसे बड़ा आम का कॉलेज भी कहा जाता है क्योंकि अकेले इस पेड़ से 300 किस्म के आम के फल प्राप्त होते हैं जिनका रूप ,रंग और स्वाद एक दूसरे से जुदा है.
पद्मश्री से सम्मानित कलीमुल्लाह खान का आम के लिए योगदान असाधारण है. इसी वजह से उन्हें मैंगो मैन भी कहा जाता है. 120 साल पुराने आम के पेड़ पर 300 किस्म के आम को उगाना आसान काम नहीं था. कलीमुल्लाह खान बताते हैं कि उन्होंने आम की किस्म को विकसित करने के बाद उसके गुण धर्म के आधार पर उसे एक खास नाम भी दिया है जिनमें देश की मशहूर हस्तियों के नाम शामिल हैं. उन्होंने अब तक अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय , सुष्मिता सेन, सचिन तेंदुलकर, एपीजे अब्दुल कलाम, नरेंद्र मोदी, अमित शाह के नाम पर भी अपने आम की किस्मों के नाम रखे हैं.
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पद्मश्री कलीमुल्लाह खां बताते हैं कि जिस तरह दो व्यक्ति एक जैसे नहीं हो सकते हैं. उसी तरह उनके द्वारा विकसित आम की 2 वैरायटी भी एक समान नहीं हो सकती हैं. उन्होंने ड्राफ्टिंग विधि के द्वारा आम की नई किस्मों को विकसित किया है. लखनऊ की मलिहाबाद की फल पट्टी को उन्होंने एक से बढ़कर एक आम की किस्म दी है जिसके चलते यह फल पट्टी सबसे ज्यादा समृद्ध है. उनकी इसी प्रतिभा के चलते 2008 में देश के चौथे प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया. उन्हें पूरे विश्व में मैंगो मैन के नाम से पुकारा जाता है. उन्होंने बताया कि आम की नई किस्मों को विकसित करने के लिए अपना पूरा जीवन लगा चुके हैं. आज भले ही उनकी उम्र 83 साल है लेकिन इस उम्र में भी उनके हौसले मजबूत हैं.
पद्मश्री से सम्मानित कलीमुल्लाह खां कहते हैं कि उनकी उम्र अब उनका साथ नहीं दे रही है. वह 83 साल के हो चुके हैं. उन्होंने अब तक एक से बढ़कर एक आम की किस्मों को विकसित किया है. जीते जी उनका एक ही सपना है कि वह दशहरी, लंगड़ा और चौसा की ऐसी किस्मों को विकसित कर सकें जिस पर साल में एक बार नहीं बल्कि दो से तीन बार तक फल प्राप्त हों. अपने इस सपने को पूरा करने के लिए उनका प्रयास जारी है.
कलीमुल्लाह खां का विश्वास है कि वह रेगिस्तान में भी आम उगा सकते हैं. वह देश प्रेम की खातिर विदेश के बुलावे को भी ठुकरा चुके हैं. उन्हें कई बार यूएई और ओमान से बुलावा मिल चुका है लेकिन वह यूपी के मलिहाबाद में ही आम की किस्मों को बढ़ाने के लिए बाहर नहीं गए. आम के लिए उनका योगदान असाधारण है.
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