महाराष्ट्र का औरंगाबाद जिला मीठे नींबू यानी मौसंबी (आम बोलचाल की भाषा में मौसमी) उत्पादन के लिए जाना जाता है. लेकिन इस साल वहां के किसानों के लिए कम बारिश ने मुसीबतें खड़ी कर दी हैं. दरअसल इस साल मॉनसून में देश के कई राज्यों में कम हुई बारिश से किसानों की फसलों का नुकसान हुआ है. इसी कड़ी में ये आशंका जताई जा रही है कि औरंगाबाद जिला जो महाराष्ट्र का मराठवाड़ा क्षेत्र है, वहां कम बारिश, सूखी मिट्टी, तापमान में वृद्धि और फलों में संक्रमण के कारण मौसंबी के उत्पादन में भारी गिरावट आ सकती है.
आंकड़ों के अनुसार, मौसंबी की खेती में महाराष्ट्र देश में शीर्ष पर है. मराठवाड़ा में मौसंबी फसल के लिए अनुकूल मौसम रहता है. मराठवाड़ा में लगभग 39 हजार 370 हेक्टेयर क्षेत्र में मौसंबी के बगीचे हैं, इसमें से औरंगाबाद में 21 हजार 525 हेक्टेयर और जालना में 14 हजार 325 हेक्टेयर क्षेत्र में मौसंबी की पैदावार होती है.
मराठवाड़ा इलाके में मौसंबी की खेती को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के प्रयास होते रहे हैं. इसमें सराकरी मदद भी दी जाती है. यही वजह है कि यहां के किसान बड़े पैमाने पर इसकी खेती करते हैं और कमाई करते हैं. इसको लेकर एक विशेषज्ञ ने कहा कि राज्य सरकार ने हाल ही में मीठे नींबू की रिसर्च के लिए सिट्रस एस्टेट नामक एक परियोजना को मंजूरी दी है. इस परियोजना के लिए 36.44 करोड़ रुपये का फंड मंजूर किया गया है. विशेषज्ञ ने कहा कि मराठवाड़ा क्षेत्र में इस साल बारिश कम हुई है, जिसका असर मौसंबी उत्पादन पर पड़ेगा.
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जालना जिले के बदनापुर स्थित कृषि अनुसंधान केंद्र के संजय पाटिल ने कहा कि इस साल मॉनसून के नदारद रहने के कारण मिट्टी में सूखापन और मिट्टी का तापमान बढ़ गया है. इससे पेड़ को जरूरी पोषण नहीं मिल रहा है. इससे फल पेड़ से गिर रहे हैं. इसके अलावा फलों में संक्रमण भी हो रहा है. इसको लेकर किसान चिंतित दिख रहे हैं. अगर अच्छी बारिश हुई रहती तो ये समस्याएं देखने में नहीं आतीं. मॉनसून की बारिश नहीं होने से पेड़ों में कई तरह की बीमारियां देखी जा रही हैं. इससे पैदावार घटने की आशंका है.
संजय पाटिल कहते हैं कि वे मौसंबी के बढ़वार पर नजर रखने और नुकसान की जांच करने के लिए बड़े स्तर पर खेतों का दौरा कर रहे हैं. वहीं अब तक मराठवाड़ा में लगभग 25 से 30 प्रतिशत तक फल गिर गए हैं. अगर आने वाले दिनों में बारिश नहीं हुई तो नुकसान और बढ़ सकता है. इससे मौसंबी किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. साथ ही. मौसंबी के दाम भी बढ़ जाएंगे क्योंकि पैदावार गिरने से सप्लाई कम हो जाएगी.
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