Turmeric Cultivation: सिर्फ खाने में ही नहीं, दवाई और कॉस्मेटिक में भी होता है इस्तेमाल, किसानों के लिए है वरदान

Turmeric Cultivation: सिर्फ खाने में ही नहीं, दवाई और कॉस्मेटिक में भी होता है इस्तेमाल, किसानों के लिए है वरदान

कम लागत, कम मेहनत और ज्यादा मुनाफा देने वाली हल्दी की खेती कैसे करें? जानिए पूरा तरीका, फायदे और किसानों के लिए ये क्यों है फायदेमंद.

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सिर्फ खाने में ही नहीं, दवाई और कॉस्मेटिक में भी होता है इस्तेमाल, किसानों के लिए है वरदानहल्दी की खेती कर कमाएं अच्छा मुनाफा

हल्दी न केवल हमारी रसोई का एक अहम हिस्सा है, बल्कि एक गुणकारी औषधि भी है. इसमें पाए जाने वाले एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुण इसे खास बनाते हैं. यही वजह है कि सदियों से इसका उपयोग दवाओं, सौंदर्य उत्पादों और मसालों में किया जा रहा है. आज हम बात करेंगे कि हल्दी की खेती क्यों फायदेमंद है और किसान इससे कैसे अच्छी कमाई कर सकते हैं.

हल्दी की खेती क्यों है फायदेमंद?

हल्दी एक नकदी फसल है जिसकी बाजार में हमेशा मांग बनी रहती है. इसका उपयोग कई चीजों में होता है- जैसे खाना पकाने में, दवाइयों में और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स में. यही वजह है कि इसकी खेती किसानों के लिए कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली साबित हो रही है.

कम लागत में तैयार होती है फसल

हल्दी की खेती करने वाले कमालगंज के एक किसान बताते हैं कि एक बीघा में हल्दी की बुवाई के लिए लगभग 15 हजार रुपए की लागत आती है. यह फसल 90 से 120 दिनों में तैयार हो जाती है. एक बीघा खेत में लगभग 4 से 5 क्विंटल तक हल्दी की पैदावार हो सकती है, जो बाजार में 60 से 80 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिकती है. इससे किसानों को अच्छी कमाई हो जाती है.

आवारा पशु नहीं करते नुकसान

हल्दी की फसल का एक बड़ा फायदा यह है कि इसे छुट्टा (आवारा) मवेशी नुकसान नहीं पहुंचाते. चूंकि हल्दी की गांठें जमीन के अंदर होती हैं और इसके पौधों का स्वाद जानवरों को पसंद नहीं आता, इसलिए यह फसल सुरक्षित रहती है.

जैविक खाद फ्री में तैयार

हल्दी के पौधों को जब खेत से निकालते हैं, तो बचे हुए हिस्सों को किसान एक जगह इकट्ठा कर लेते हैं और उससे जैविक खाद बनाते हैं. इस खाद का उपयोग अगली फसलों में किया जाता है जिससे उनकी पैदावार भी बढ़ती है. इस तरह किसान दोहरा लाभ कमाते हैं- एक तो हल्दी से और दूसरा उसकी जैविक खाद से.

हल्दी की खेती का आसान तरीका

भूमि का चयन: ऐसी जमीन चुनें जहां पानी निकासी की अच्छी व्यवस्था हो.

बीज की बुवाई: हल्दी के अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करें.

निराई और सिंचाई: समय-समय पर खेत की निराई और जरूरत अनुसार सिंचाई करें.

फसल तैयार होने पर: फसल 3 से 4 महीनों में तैयार हो जाती है. फिर इसे निकालकर धोकर बाजार में बेचा जाता है.

हल्दी की खेती आज के समय में एक स्मार्ट विकल्प बनकर उभरी है. कम लागत, कम मेहनत, सुरक्षित फसल और लगातार मांग- ये सभी कारण इसे किसानों के लिए लाभदायक बनाते हैं. साथ ही, इससे बनने वाली जैविक खाद से अन्य फसलों की उपज भी बेहतर होती है. अगर आप भी खेती से अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो हल्दी की खेती जरूर आजमाएं.

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