गेहूं की सरकारी खरीद अपने वास्तविक लक्ष्य से अभी बहुत पीछे है. सरकार ने टारगेट 372.9 लाख मीट्रिक टन की खरीद करने का रखा है जबकि अभी तक 265 का भी आंकड़ा हासिल नहीं हुआ है. इसकी वजह से खुले बाजार में सस्ता अनाज बेचने वाली योजना ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) पटरी से उतर गई है. महंगाई कम करने के नाम पर इस योजना के तहत रोलर फ्लोर मिलर्स और सहकारी एजेंसियों को सस्ता अनाज दिया जाता है. ओएमएसएस की मौजूदा नीति 31 जुलाई को समाप्त होने वाली है. इसके अलावा, सरकार कीमतों पर बारीकी से नजर रख रही है और अब तक इस मोर्चे पर कोई चिंता नहीं है. फिलहाल मौजूदा समय में चल रही ओएमएसएस के तहत गेहूं की नीलामी नई सरकार के गठन से पहले शुरू नहीं होगी.
इस साल मार्च में, खाद्य मंत्रालय ने ओएमएसएस के तहत बफर स्टॉकिंग मानदंडों से अधिक खाद्यान्न (गेहूं और चावल) स्टॉक की बिक्री के लिए नीति को मंजूरी दी थी, जो 1 अप्रैल से प्रभावी थी और 31 जुलाई तक वैध थी. सूत्रों ने कहा कि 7 जून को समीक्षा निर्धारित है और चालू वित्त वर्ष की शेष अवधि के लिए इस योजना के तहत दिए जाने वाले गेहूं का नया आरक्षित मूल्य तय किया जा सकता है.
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गेहूं के लिए ओएमएसएस नीति के अनुसार, सरकार ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को ई-नीलामी के माध्यम से निजी पार्टियों को अनाज बेचने की अनुमति दी है, जो कि अंडर रिलैक्स्ड स्पेसिफिकेशन (यूआरएस) किस्म के लिए 2,275 रुपये प्रति क्विंटल के समान आरक्षित मूल्य पर है, जो कि वर्तमान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के बराबर है. सभी फसल वर्षों के उचित और औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) प्रकार के लिए दाम 2,300 रुपये प्रति क्विंटल है.
हालांकि, वर्तमान में चल रही ओएमएसएस नीति में निर्धारित किया गया है कि बिक्री का समय खाद्य मंत्रालय द्वारा तय किया जाना है. इसमें आगे कहा गया है कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे गेहूं खरीद करने वाले राज्यों में खरीद अवधि के दौरान कोई बिक्री नहीं की जाएगी. पंजाब और हरियाणा के लिए खरीद अवधि समाप्त हो गई है, जबकि यह उत्तर प्रदेश और बिहार में 15 जून तक जारी रहेगी और अन्य राज्यों में 30 जून तक समाप्त होगी. हालांकि, मंडियों में अनाज की आवक काफी कम हो गई है, इसलिए खरीद तय समय से पहले समाप्त हो सकती है.
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, मई में गेहूं का औसत (सभी पांच क्षेत्रों का) खुदरा मूल्य जनवरी में लगभग 34 रुपये प्रति किलो से मामूली रूप से घटकर लगभग 33.50 रुपये प्रति किलोग्राम रह गया है. इसी तरह, आटा (गेहूं का आटा) की कीमत जनवरी में 39 रुपये से घटकर मई में 38.70 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई है.
महंगाई रोकने के लिए चलाई जा रही ओएमएसएस के तहत, खाद्य मंत्रालय ने इस साल नेफेड, एनसीसीएफ और केंद्रीय भंडार जैसे अर्ध-सरकारी और सहकारी संगठनों को दिए जाने वाले गेहूं की कीमत 23 रुपये प्रति किलोग्राम तय की है. इन एजेंसियों को इस शर्त पर इतनी कम कीमत पर गेहूं दिया गया कि वो अधिकतम 27.50 रुपये प्रति किलोग्राम पर आटा बेचेंगे.
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