आलू का बंपर उत्पादन इस बार किसानों के लिए ही परेशानी बना हुआ है. इस वजह से किसानों को आलू के दाम नहीं मिल रहे हैं. लागत से कम दाम मिलने से किसान परेशान हैं. इस बीच किसानों के लिए खुशखबरी है. जिसके तहत फर्रुखाबाद के आलू किसानों को थोड़ी राहत मिली है. बीते कुछ दिनों के मुकाबले अब उनका आलू 100 रुपये क्विंटल तक महंगा जा रहा है. आलू की खरीदारी भी जमकर हो रही है. कर्नाटक, महाराष्ट्रा और असम के व्यापारियों ने फर्रुखाबाद में डेरा डाला हुआ है. ट्रक की जगह आलू से लदी मालगाड़ियां फर्रुखाबाद से असम के लिए रवाना हो रही हैं. जबकि आलू की सबसे बड़ा क्षेत्र कहा जाने वाला आगरा-अलीगढ़ और हाथरस की मंडियां सूनी पड़ी हुई हैं. बाहरी व्यापारी यहां कदम नहीं रख रहे हैं.
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आगरा निवासी आलू ट्रेडर्स अजीम खान ने किसान तक को बताया कि आगरा-अलीगढ़ और हाथरस के मुकाबले फर्रुखाबाद में आलू ज्यादा सस्ता बिक रहा है. यहीं वजह है कि आलू की खुदाई शुरू होने के साथ आगरा-अलीगढ़ और हाथरस आने वाली बाहरी व्यापारी फर्रुखाबाद चले गए हैं. आगरा-अलीगढ़ में 50 किलो आलू का पैकेट 400 से 450 रुपये तक का बिक रहा है. जबकि फर्रुखाबाद में 550 रुपये से लेकर 625 रुपये क्विंटल तक आलू बिक रहा है. मालूम हो कि एक पैकेट में 50 किलो आलू आता है. फर्रुखाबाद में यह रेट भी तब ऊपर हुए हैं, जब बाहरी व्यापारी आलू खरीदने पहुंचे हैं. जबकि इससे पहले छंटा हुआ बढ़िया-बढ़िया आलू ज्यादा से ज्यादा 515 रुपये क्विंटल तक बिक रहा था.
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मोहम्मदाबाद, फर्रुखाबाद के आलू किसान सुरेन्द्र ने किसान तक को बताया कि करीब आठ-दस दिन से फर्रुखाबाद की आलू मंडी सासराम में आलू की अच्छी खरीद हो रही है. अब तो दाम भी अच्छे मिल रहे हैं. पहले तो पीला, बड़ा और बेदाग आलू 515 रुपये क्विंटल तक बिक रहा था, लेकिन अब 625 रुपये क्विंटल तक आराम से बिक जा रहा है. कर्नाटक और महाराष्ट्रा के व्यापारी रोजाना आलू की खरीद कर ट्रक अपने-अपने शहरों को रवाना कर रहे हैं, जबकि असम के व्यापारी बड़ी खरीद कर रहे हैं. वो आलू की रैक भरकर भेज रहे हैं.
आलू को भरकर मालगाड़ी बेशक अब असम जाने लगी है. लेकिन बंपर उत्पादन की तुलना में ये बेहद कम है. इस बारे में रेलवे से रिटायर्ड सुमन सिंह बताते हैं कि खासतौर पर फल और सब्जी की रैक छोटी होती हैं. जैसे कोयला-सीमेंट की रैक 55-60 डिब्बों से ऊपर की होती है. जबकि फल और सब्जी की रैक आमतौर पर 20 से 22 डिब्बों की ही रखी जाती है. इसकी वजह यह है कि छोटी रैक जल्दी लोड हो जाती है और अनलोड भी हो जाती है और फल-सब्जी खराब भी नहीं होते हैं.
आलू किसान युवराज ने बताया कि फर्रुखाबाद में 3797 और ख्याति ब्रीड का आलू ज्यादा होता है. जबकि आगरा-अलीगढ़ हाथरस में फर्रुखाबाद के मुकाबले और अच्छी ब्रीड का आलू किया जाता है. यहीं वजह है कि फर्रुखाबाद का आलू सस्ता है और आगरा-अलीगढ़ का महंगा, लेकिन दोनों के स्वाद में फर्क तब मामूल होता है जब आलू कोल्ड से निकलकर बाजार में आता है. अभी तो जो आलू खरीदा जा रहा है वो सीधा ही बाजार में खप जाएगा.
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