देश में अलग-अलग सीजन में अलग-अलग सब्जियों की खेती होती है. जैसे- सर्दी, गर्मी और बरसात इन तीनों ही सीजन में अलग-अलग सब्जियों की खेती होती है. लेकिन कुछ सब्जियां ऐसी भी हैं जिनकी खेती सालभर यानी 12 महीने होती है, जैस- मूली, पालक, पत्ता गोभी, बैंगन आदि. हालांकि, ऐसा देखा गया है कि बहुत से किसान बेमौसम सब्जियों की खेती करते हैं और इन बेमौसमी सब्जियों की पैदावार लगभग आधी हो जाती है, लेकिन सब्जी मंडियों में इन सब्जियों की कीमत अच्छी होती है. जिससे किसान शानदार मुनाफा कमा लेते हैं.
वहीं कुछ सब्जियां ऐसी भी होती हैं जो यदि बिना सीजन के लगाई जाएं तो उनमें फूल और फली नहीं लगती, इसलिए आप जब भी सब्जियों की खेती करें तो ऐसी सब्जियों की खेती करें जो उस महीने में बोई जाती हो. ऐसे में आइए आज हम आपको मानसून के सीजन में कौन-सी फसल उगाई जाती है, उसके बारे में विस्तार से जानते हैं-
भारत में मानसून का महीना जून से लेकर अगस्त तक या ज्यादा से ज्यादा 15 सितंबर तक होता है. ऐसे में बरसात में जहां कुछ सब्जियों की नर्सरी तैयार की जाती है, तो वहीं बहुत सी सब्जियों के बीजों को सीधे खेतों में बुआई की जाती है. तो ऐसे में आइए जानते हैं कि बारिश में बोई जाने वाली फसलें कौन-कौन सी हैं.
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आमतौर पर बरसात के सीजन में तीन तरह की सब्जियों की खेती होती है- बेल वाली सब्जियां, खड़ी फसल की सब्जियां और जमीन के अंदर (कंदमूल) बनने वाली सब्जियां आदि. अगर बरसात में बोई जाने वाली फसलों के नाम की बात करें, तो फूलगोभी, पत्तागोभी, खीरा, बैंगन, लोबिया, करेला, लौकी, पालक, तुरई, बींस, भिंडी, प्याज, चौलाई, मिर्च और मूली इत्यादि.
• ये फसलें वर्षा ऋतु में उगाई जाती हैं.
• जून-जुलाई में प्री मानसून के ठीक बाद बुवाई शुरू होती है.
• अगस्त, सितंबर और अक्टूबर में कटाई होती है.
• इन्हें सफलतापूर्वक बढ़ने के लिए पानी और गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है.
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टमाटर, मिर्च, तोरी, लौकी, गोभी और प्याज आदि पौध से उगाई जाने वाली प्रमुख सब्जियां है. वहीं अच्छी सफल फसल उगाने के लिए पौधा का स्वस्थ होना बेहद जरूरी होता है. इसलिए पौधशाला की मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में जैविक पदार्थ होने चाहिए. खरीफ में नर्सरी के लिए ऐसे स्थान का चयन करना चाहिए जहां पानी नहीं ठहरता या भरता हो. इसके अलावा, बारिश में वायरस से होने वाले रोगों का प्रकोप ज्यादा रहता है, इसलिए कीट व रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करना चाहिए.
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