उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में किसान यूरिया खाद की किल्लत से बेहाल हैं. कहीं सहकारी केंद्रों पर लंबी कतारें लगी हैं तो कहीं गोदामों के शटर ही बंद मिले. किसानों का आरोप है कि यूरिया ब्लैक में बेची जा रही है और उन्हें सरकारी दर पर खाद नहीं मिल पा रही. जबकि अधिकारी कुछ और दावा कर रहे हैं. खरीफ की फसल के लिए जरूरी खाद न मिलने से किसान चिंतित हैं. खड़बाडीह सहकारी केंद्र पर शटर बंद मिला, जिसके बाद किसानों ने नाराजगी जताई और कहा कि यहां यूरिया की खेप पहुंची ही नहीं.
किसानों ने बताया है कि सहकारी केंद्रों पर यूरिया 280 रुपये प्रति बोरी मिलती है. वहीं बाजार में इसकी कीमत 500 से 600 रुपये तक चुकानी पड़ रही है. गाजीपुर मुख्यालय स्थित सहकारी वितरण केंद्र पर खाद उपलब्ध है, लेकिन वहां लंबी कतारें लगी हुई हैं. पुरुष और महिलाएं दोनों ही सुबह से लाइन में खड़े अपनी बारी का इंतजार करते नजर आए. किसानों का कहना है कि खरीफ की फसल जैसे धान, बाजरा और मक्का के लिए यूरिया तुरंत चाहिए. अगर समय पर खाद नहीं मिली तो फसल बर्बाद हो जाएगी.
इस बीच, गाजीपुर के जिला कृषि अधिकारी उमेश कुमार का दावा है कि जिले में यूरिया की कोई कमी नहीं है. उन्होंने किसानों से अपील की है कि रबी की फसलों के लिए अभी से खाद का स्टॉक न करें और सिर्फ जरूरत के हिसाब से ही लें. उनके अनुसार, अब तक कुल 30,486 मीट्रिक टन यूरिया का वितरण हो चुका है और लगातार नई खेप आ रही है. गाजीपुर की जखनियां विधानसभा के मनिहारी ब्लॉक के खड़बाडीह गांव में किसान मनोज पाल, मोनू खान, रामावतार यादव और रौशन पाल ने बताया कि उनके सहकारी केंद्र पर वितरण नहीं हुआ, जबकि पास के मोहब्बतपुर गांव में खाद बांटी गई. बड़ी मुश्किल से कुछ ही किसान वाहन का इंतजाम करके खाद ले पाए.
किसानों का कहना है कि वो सरकारी रेट पर खाद लेना चाहते हैं, लेकिन लंबी लाइनों और अनियमितताओं के कारण परेशान हैं. मुख्यालय पर लंबी लाइनों में लगे किसानों ने आरोप लगाया कि सुबह से भूखे-प्यासे खड़े रहने के बावजूद खाद बड़ी मुश्किल से मिल रही है. किसानों ने सवाल उठाया कि जब अधिकारी कह रहे हैं कि खाद की कोई कमी नहीं है तो फिर कई केंद्र बंद क्यों हैं? उनका आरोप है कि सहकारी केंद्रों पर कालाबाजारी हो रही है और समय पर खाद उपलब्ध नहीं कराई जा रही. किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध कराई जाए और कालाबाजारी पर रोक लगे.
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