मसाला उगाने में भारत का नाम प्रमुख है. भारत के मसालों की खुशबू विदेशों तक जाती है. यही वजह है कि भारत से मसालों के निर्यात में लगातार तेजी देखी जा रही है. वाणिज्य मंत्रालय का एक आंकड़ा बताता है कि भारत ने इस साल अप्रैल-सितंबर 2022-23 में विदेशों में दालचीनी बेचकर (Cinnamon Export) 39.5 करोड़ रुपये की कमाई की है. 2013-14 की इसी अवधि में भारत ने 7.7 करोड़ रुपये की दालचीनी का निर्यात किया था. इस तरह साल 2013-14 से लेकर दालचीनी के निर्यात में 5 गुना से अधिक कमाई प्राप्त हुई है.
भारत जिन देशों को दालचीनी और दालचीनी फूल का निर्यात करता है, उनमें पहले स्थान पर अमेरिका है. इसके बाद कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूके, न्यूजीलैंड, नीदरलैंड्स, कोस्टा रीका, जर्मनी, वियतनाम और जापान के नाम आते हैं. एक आंकड़े से पता चलता है कि दुनिया के छोटे-बड़े 122 देश और क्षेत्र भारत से दालचीनी और उससे जुड़े प्रोडक्ट का आयात करते हैं. इसमें सबसे बड़ा आयात अमेरिका करता है. ऐसे में अगर आप भी दालचीनी से कमाई करना चाहते हैं, तो आइए उसकी खेती के बारे में जान लेते हैं.
दालचीनी की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु बेहतर होती है. ऐसे मौसम में इसके पौधे ठीक से बढ़ते हैं. खेत वाले इलाके में 200 से 250 सेमी बारिश की जरूरत होती है. खेती का पहला काम खेत और मिट्टी तैयार करने से शुरू होता है. खेत को ठीक से साफ करके 50 सेमी लंबे और चौड़े गड्ढे तैयार करें. दो गड्ढे के बीच की दूरी 3 मीटर रखें. जून-जुलाई में इन गड्ढों में पौधे लगाएं. इसके बाद अगस्त-सितंबर में इन पौधों की गुड़ाई करें.
दालचीनी के पौधों को अच्छी बढ़वार मिले, इसके लिए जरूरी है कि समय-समय पर अच्छी खाद दी जाए. जिन गड्ढों में दालचीनी रोपी गई है, उनमें 20 किलो गोबर की खाद या कंपोस्ट मिला दें. पौधे के पहले साल में उसमें 40 ग्राम यूरिया, 115 ग्राम सिंगप सुपर फास्फेट और 45 ग्राम पोटाश डालें. गर्मी में पूरे खेत में 25 किलो एफवाईएम खाद डालें. जैसे साल बीतता जाए, पौधे बढ़ते जाएं, उनमें खाद की मात्रा बढ़ाते जाएं. खाद मई-जून और सितंबर-अक्टूबर महीने में डालना है.
दालचीनी का पौधा लगाने के चौथे या पांचवें साल से पैदावार मिलना शुरू होता है. एक साल में दो बार, एक मई और दूसरा नवंबर में दालचीनी के पौधे काटे जाते हैं और उसकी छाल उतारी जाती है. एक बात का ध्यान रखें कि बारिश का सीजन खत्म होने पर ही तना छांटने और छाल उतारने का काम होना चाहिए. कटाई करने के बाद तने को यूं ही छोड़ दें जो फिर अगले 18 महीने बाद छंटाई के लिए तैयार होता है. उसी तने से छाल उतारें जो कम से कम 1 मीटर लंबा हो और दो सेमी चौड़ा. उतारी गई छाल को सूखा लें और जो बिकने के लिए तैयार होती है. इसका पाउडर बनाकर दालचीनी पाउडर भी बेच सकते हैं जो और भी महंगा बिकता है.
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