केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी हमेशा अपने अनोखे प्रयासों और प्रयोगों के लिए जाने जाते हैं..देश में सड़कों का जाल बिछाने के बाद अब वह पेट्रोल-डीजल का प्रदूषण रहित विकल्पों को अपनाने की दिशा में काम कर रहे हैं. उनके इस आइडिया से देश का किसान अन्नदाता के साथ ही ऊर्जादाता बनने की तरफ बढ़ रहा है. इस संबंध में उन्होंने अपना प्लान बीते दिनों ग्रेटर नोएडा ऑटो एक्सपो में इंडिया टुडे के साथ हुई बातचीत में साझा किया है. जिसके तहत गन्ने के बाद अब मक्का समेत कई अन्य कृषि उत्पादों से इथेनॉल बनेगा. इस इथेनॉल से न सिर्फ गाडियां बल्कि मोटर इंजन चलाने के लिए डीजल और पेट्रोल के प्रति निर्भरता कम होगी. साथ ही यह प्रयोग देश के किसानों की आमदनी में भी वृद्धि करने वाला है. आइए जानते हैं केन्द्रीय कैबिनेट में सड़क परिवहन मंत्री का क्या प्लान है
केंद्रीय कैबिनेट मंत्री नितिन गडकरी ने इंडिया टुडे से बातचीत करते हुए भारत के कृषि उत्पादों से देश के आईटी सेक्टर और ऑटोमोबाइल सेक्टर में बड़ा परिवर्तन लाने का प्लान बनाया है. केंद्रीय मंत्री गडकरी ने बताया कि देश में चीनी का सरप्लस उत्पादन होता है. देश में 280 लाख टन शक्कर की जरूरत होती है और 360 लाख टन का उत्पादन होता है. देश में शक्कर के अलावा गेहूं, चावल और मक्के का उत्पादन सरप्लस है (आवश्यकता से अधिक) इससे एमएसपी ज्यादा है और मार्केट प्राइस कम है. अब हम कृषि को ऊर्जा उत्पादन के रूप में बदलने की तैयारी में हैं. हम शुगर जूस, मक्के और चावल से इथेनॉल बना रहे हैं. हमारे देश में 450 करोड़ लीटर इथेनॉल होता है.
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उन्होंने आगे कहा कि पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल डालने के लिए हजार करोड़ लीटर की जरूरत होगी. देश में आईटी सेक्टर के टावरों में चल रहे जनरेटरों में लगभग 2 हजार लीटर डीजल की आवश्यकता होती है. रशिया में इथेनॉल और पेट्रोल का माइलेज सेम होता है. रशियन सेंटर के टेक्नोलॉजी वैज्ञानिक और इंडियन ऑयल के चेयरमैन के सामने प्रजेंटेशन दिया सभी को आइडिया पसंद आया. लेकिन, इस पर भरोसा करना आसान नहीं था. 3 महीने में ही यह साबित हो गया कि इथेनॉल और पेट्रोल का माइलेज सेम निकला और दोनों कीमतों में लगभग आधे का फर्क है.
केंद्रीय कैबिनेट मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि इथेनॉल शामिल होने से भारत में न सिर्फ किसानों को लाभ हुआ. बल्कि देश में ईंधनों के आयात पर भी कमी आई. जिससे करीब 40 हजार करोड़ का फायदा हुआ. आज देश करीब 16 लाख करोड़ फॉसिल फ्यूल का इम्पोर्ट कर रहा है. साथ ही इससे प्रदूषण का खतरा भी है इसलिए ग्रीन एनर्जी की मदद से देश में आयात का आंकड़ा कम होगा इसमें से 7-8 लाख करोड़ यदि कृषि सेक्टर में खर्च किए जाएं तो 12 फीसदी एग्रीकल्चर ग्रोथ रेट 18- 20 फीसदी में बदलेगा और भारत निश्चित रूप से आत्मनिर्भर बनेगा.
नितिन गडकरी ने कई तरह के प्रयोगों का जिक्र करते हुए ग्रीन हाइड्रोजन बनाने की बात कही है. उन्होंने खास तौर पर प्रदूषण को कम करने और एग्रीकल्चर सेक्टर को बढ़ाने के लिए कई तरह के सफल प्रयोग कर चुके हैं.उन्होंने कहा कि खास तकनीक से पराली से ग्रीन हाइड्रोजन बनाया जा सकेगा, इससे न सिर्फ आयात में कमी आएगी. बल्कि लोगों का स्वास्थ्य सुधार और कृषि क्षेत्र में चमत्कारिक ग्रोथ देखे जाएंगे.
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