जब सरकारी खरीद ही नहीं होगी तो मूंग क्यों बोएगा किसान, बेपटरी हुई पानी बचाने की मुहिम

जब सरकारी खरीद ही नहीं होगी तो मूंग क्यों बोएगा किसान, बेपटरी हुई पानी बचाने की मुहिम

पंजाब में मूंग की सरकारी खरीद अब तक सिर्फ 2,280 क्विंटल है, जबकि पिछले साल अब तक 9,902 क्विंटल की सरकारी खरीद हो चुकी थी. वहीं निजी व्यापारियों ने किसानों से 1,47,282 क्विंटल मूंग की खरीद की है.

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जब सरकारी खरीद ही नहीं होगी तो मूंग क्यों बोएगा किसान, बेपटरी हुई पानी बचाने की मुहिमपंजाब में सरकारी मूंग की खरीद में आई गिरावट

पंजाब में घटता जलस्तर अब किसानों के साथ-साथ सरकार के लिए भी चिंता का सबब बन गया है. इस जलस्तर को बनाए रखने और पानी बचाने के लिए पंजाब सरकार खेती में कई बदलाव कर रही है. इसी बदलाव में एक है खेती का विविधिकरण. यानी कि पारंपरिक फसलों को छोड़कर उन फसलों की खेती जो कम पानी ले या पानी का बचत करे. इसी में एक है मूंग दाल की खेती. पंजाब सरकार पानी की बचत के लिए किसानों को मूंग की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है. लेकिन विडंबना देखिए कि जब मूंग की सरकारी खरीद की बारी आती है, तो किसान बेचारे हात मलते रहते जाते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि मूंग की सरकारी खरीद नहीं होती. इस बार मूंग की सरकारी खरीद 77 फीसद कम है जिससे सवाल उठता है कि जब खरीद ही नही होगी तो किसान मूंग क्यों बोएगा और फिर पानी बचाने की मुहिम का क्या होगा. 

पंजाब में हालत ये है कि किसानों को निजी व्यापारियों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 7,755 रुपये प्रति क्विंटल से काफी कम कीमत पर मूंग बेचना पड़ रहा है. राज्य में इसकी आवक अधिक होने के कारण किसानों को अपनी उपज 6,800 रुपये से 7,000 रुपये प्रति क्विंटल रेट पर बेचना पड़ रहा है, जो एमएसपी से 955 रुपये से 755 रुपये प्रति क्विंटल कम है.

सिर्फ 2,280 क्विंटल हुई मूंग की सरकारी खरीद

'द ट्रिब्यून' के मुताबिक, मूंग की सरकारी खरीद अब तक सिर्फ 2,280 क्विंटल हुई है, जबकि पिछले साल अब तक 9,902 क्विंटल की सरकारी खरीद हो चुकी थी. वहीं निजी व्यापारियों ने किसानों से 1,47,282 क्विंटल मूंग की खरीद की है. तुलनात्मक रूप से सरकार ने पिछले साल अब तक 81,587 क्विंटल मूंग की खरीद की थी. मूंग की खरीद के लिए सबसे बड़ी मंडी जगराओं के कमीशन एजेंट नवीन गर्ग ने कहा कि जगराओं मंडी में रोजाना औसतन 15,000 बैग मूंग की आवक हो रही है, लेकिन सरकारी खरीद केवल 500 बैग ही हो रही है. 

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कम कीमतों के कारण किसानों को नुकसान

यहां के किसान कहते हैं, सरकार के पास खुद मूंग खरीदने कोई सिस्टम नहीं है, ऐसे में सरकार को कमीशन एजेंटों को शामिल करना चाहिए था. सरकार की इस लापरवाही की वजह से किसानों को कम कीमत के कारण नुकसान हो रहा है. मोगा के रामा गांव के किसान राजबीर सिंह, जिन्होंने 50 एकड़ में मूंग उगाई है, उन्होंने कहा, “इस साल पैदावार 12-13 क्विंटल प्रति एकड़ अधिक है. इसलिए हमें कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है.'' हालांकि उन्हें मूंग के दाम पहले से कम मिल रहे हैं.

धूलकोट गांव के किसान अमरिंदर सिंह ने कहा कि उन्होंने 7,000 रुपये प्रति क्विंटल पर मूंग बेची, लेकिन यह अभी भी एमएसपी से कम है. रामा गांव में 10 एकड़ में मूंग की खेती करने वाले गुरसेवक सिंह ने कहा कि उन्हें जगराओं में एक निजी व्यापारी से मूंग की 6,900 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत मिली.

मार्कफेड ने मूंग की खरीद के लिए किया 42 मंडियों को अधिसूचित

मार्कफेड के प्रबंध निदेशक गिरीश दयालन ने कहा, “मार्कफेड ने मूंग की खरीद के लिए 42 मंडियों को अधिसूचित किया है. सात मंडियों में खरीद शुरू हो गई है. मंडी बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक मंडियों में 1,60,000 क्विंटल की आवक हो चुकी है. अब तक, मार्कफेड द्वारा 2,280 क्विंटल 7,755 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी पर खरीदा गया है. अगर क्वालिटी अच्छी रही तो मूंग को एमएसपी से ऊपर 8,500 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर भी बेचा गया है.

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