हिमाचल प्रदेश में सेब की खेती करने वाले किसान इन दिनों काफी खुश हैं. लगातार दो सीजन में खराब मौसम के बाद, अपर शिमला क्षेत्र में सेब और बाकी गुठलीदार फलों के उत्पादकों को इस साल बेहतर उपज की उम्मीद है. जबकि निचले इलाकों में फल लगने का काम पूरा हो चुका है. वहीं मध्यम और ज्यादा ऊंचाई वाले इलाकों में फूल आने की प्रक्रिया चल रही है. शिमला के मशोबरा और गुम्मा कोटखाई में सेब की खेती खासतौर पर होती है. सेब की खेती को यहां के कई इलाकों के किसान, स्थानीय अर्थव्यवस्था और टिकाऊ खेती के लिए जरूरी मानते हैं.
अखबार द ट्रिब्यून ने कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) शिमला की सीनियर साइंटिस्ट उषा शर्मा के हवाले से लिखा, 'फल उत्पादकों के लिए अब तक मौसम काफी अनुकूल रहा है. इस बार निचले इलाकों में अच्छे फल लगे हैं. मध्यम और ज्यादा ऊंचाई वाले इलाकों में फूल आने की प्रक्रिया चल रही है. उम्मीद है कि अगले सात से 10 दिनों में इन ऊंचाई वाले इलाकों में फल लग जाएंगे.' पिछले दो सालों में खराब मौसम के कारण फलों की पैदावार सामान्य से कम रही है. साल 2023 में बहुत ज्यादा बारिश की वजह से फसल गंभीर फंगल इनफेक्शन का शिकार हो गई थी. इसकी वजह से फलों की गुणवत्ता के साथ-साथ मात्रा पर भी असर पड़ा था.
यह भी पढ़ें-हरा चारा भी पशु में पानी की कमी को करता है पूरी, जानें एक किलो चारे में कितने लीटर होता है पानी
पिछले साल गर्मियों में सूखे जैसी स्थिति ने फिर से पैदावार को प्रभावित किया. कुल मिलाकर, इन दो सालों में केवल दो करोड़ सेब के बक्से का उत्पादन हो सका. शिमला जिले के कोटगढ़ क्षेत्र के निचले इलाकों में स्थित भारसा गांव के फल उत्पादकों का कहना है कि इस बार सेब और गुठलीदार फलों में फल लगने की स्थिति काफी अच्छी रही है. इतनी अच्छी कि हमें फलों की कलियों को पतला करना पड़ा है. उत्पादकों की मानें तो पिछले साल मौसम खराब होने की वजह से गुठलीदार फलों पर काफी बुरा असर पड़ा था लेकिन इस बार अच्छी फसल की संभावना बहुत ज्यादा है.
यह भी पढ़ें-बचे हुए अनाज से बढ़ सकती है किसानों की आय, कमा सकते हैं 35,000 करोड़ रुपये तक का मुनाफा
वहीं सेब के अलावा बेर, चेरी और बादाम जैसे गुठलीदार फलों में भी फल लगने की स्थिति काफी अच्छी है. नाशपाती भी अच्छी तरह विकसित हो रही है. किसानों का भी मानना है कि फूल आने और फल लगने तक मौसम अच्छा रहा है. किसानों ने बताया कि अब यहां से फल कैसे विकसित होंगे, यह बारिश पर निर्भर करता है. फलों के अच्छे विकास के लिए अब नियमित अंतराल पर बारिश की जरूरत है. वहीं उत्पादकों को सलाह दी गई है कि वो फल लगने के बाद सेब में अल्टरनेरिया और पाउडरी फफूंद जैसी फफूंदजनित बीमारियों से सावधान रहें. उत्पादकों को इन रोगों पर नियंत्रण रखने के लिए फल लगने के बाद कवकनाशक का छिड़काव शुरू करने की सलाह केवीके के वैज्ञानिकों ने दी है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today