बचे हुए अनाज से बढ़ सकती है किसानों की आय, कमा सकते हैं 35,000 करोड़ रुपये तक का मुनाफा

बचे हुए अनाज से बढ़ सकती है किसानों की आय, कमा सकते हैं 35,000 करोड़ रुपये तक का मुनाफा

इथेनॉल सिर्फ किसानों की आय ही नहीं बढ़ाता, बल्कि देश के ऊर्जा सुरक्षा, ग्रामीण विकास और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में भी अहम भूमिका निभाता है. भारत ने इथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को समय से पहले हासिल कर दिखाया है. साल 2022 में 10% मिश्रण का लक्ष्य समय से पहले पूरा हुआ और अब जनवरी 2025 तक इसे बढ़ाकर लगभग 20% तक पहुंचा दिया गया है.

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बचे हुए अनाज से बढ़ सकती है किसानों की आय, कमा सकते हैं 35,000 करोड़ रुपये तक का मुनाफाबचे हुए अनाजों से बढ़ सकती है किसानों की इनकम

हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, अनाज आधारित इथेनॉल उद्योग भारत के किसानों की आय को 35,000 करोड़ रुपये तक बढ़ा सकता है. यह रिपोर्ट ग्रेन इथेनॉल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन और प्राइमस पार्टनर्स द्वारा तैयार की गई है, जिसे इस हफ्ते दिल्ली में एक गोलमेज सम्मेलन के दौरान पेश किया गया.

बचे हुए अनाज से मिलेगा फायदा

रिपोर्ट में बताया गया है कि मक्का और टूटे चावल जैसे बचे हुए अनाज का इस्तेमाल करके सालाना लगभग 165 लाख टन अनाज से इथेनॉल बनाया जा सकता है. इससे किसानों को सीधे 35,000 करोड़ रुपये तक की आमदनी हो सकती है. 

इथेनॉल का महत्व

इथेनॉल सिर्फ किसानों की आय ही नहीं बढ़ाता, बल्कि देश के ऊर्जा सुरक्षा, ग्रामीण विकास और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में भी अहम भूमिका निभाता है. भारत ने इथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को समय से पहले हासिल कर दिखाया है. साल 2022 में 10% मिश्रण का लक्ष्य समय से पहले पूरा हुआ और अब जनवरी 2025 तक इसे बढ़ाकर लगभग 20% तक पहुंचा दिया गया है.

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पर्यावरण के लिए भी बेहतर है इथेनॉल

hरिपोर्ट में मक्का को सबसे उपयुक्त फसल बताया गया है क्योंकि इसमें पानी की खपत कम होती है और इसे इथेनॉल में बदलने की प्रक्रिया भी कारगर है. इथेनॉल के इस्तेमाल से अब तक 1.08 लाख करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत हुई है, 185 लाख टन कच्चे तेल की जगह ली गई है और 557 लाख टन CO2 उत्सर्जन कम किया गया है.

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चुनौतियां भी हैं सामने

हालांकि इस सेक्टर को कुछ चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है. जैसे:

  • मक्का की बढ़ती कीमतें  
  • विभिन्न राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा  
  • इथेनॉल की कीमतें तय करने में पारदर्शिता की कमी  
  • डिस्टिलरियों के लिए मुनाफे में गिरावट

इन समस्याओं को सुलझाने के लिए रिपोर्ट में कुछ सुझाव भी दिए गए हैं:

  • मक्का की खेती को बढ़ावा देना  
  • मक्का की लागत के अनुसार इथेनॉल की कीमत तय करना  
  • जब तक मक्का उत्पादन नहीं बढ़ता, तब तक एफसीआई के अधिशेष चावल की सप्लाई जारी रखना
  • इथेनॉल के उप-उत्पादों जैसे डीडीजीएस (सूखे घुलनशील अनाज) के लिए घरेलू बाजार को मजबूत करना

रिपोर्ट का साफ संदेश है कि अगर सरकार और उद्योग मिलकर काम करें, तो अनाज आधारित इथेनॉल न सिर्फ किसानों की आमदनी बढ़ा सकता है, बल्कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने में भी अहम योगदान दे सकता है.

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