पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में बेतहाशा बढ़ोतरी, 1 अप्रैल से अभी तक 4100 मामले आए सामने

पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में बेतहाशा बढ़ोतरी, 1 अप्रैल से अभी तक 4100 मामले आए सामने

पीएयू के कुलपति डॉ. सतबीर सिंह गोसल के अनुसार, राज्य में खेतों में आग लगने की घटनाओं में वृद्धि के लिए कई कारक योगदान दे रहे हैं. सबसे पहले, गेहूं के भूसे, जिसे पशुओं के चारे के रूप में पसंद किया जाता था, उसकी कीमत में काफी गिरावट आई है.

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पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में बेतहाशा बढ़ोतरी, 1 अप्रैल से अभी तक 4100 मामले आए सामनेपंजाब में पराली जलाने की घटना. (सांकेतिक फोटो)

पंजाब में पराली जलाने के मामले कम होने के बजाए बढ़ते ही जा रहे हैं. 1 अप्रैल से लेकर अभी तक खेतों में पराली जलाने के  4100 मामले सामने आए हैं. खास बात यह है कि इनमें से 3,954 घटनाएं (96 प्रतिशत से अधिक) मई के पहले 10 दिनों में दर्ज की गई हैं. वहीं, 10 मई को प्रदेश में पराली में आग लगाने की कुल 966 घटनाएं दर्ज की गईं, जो इस मौसम की सबसे अधिक  है.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, 8 मई को राज्य में खेतों में आग लगने की 954 घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि 7 मई को पराली जलाने की 785 घटनाएं सामने आई. वहीं, 9 मई को पराली जलाने की कुल 584 घटनाएं दर्ज की गईं. खास बात यह है कि अभी तक पराली जलाने के फिरोजपुर में 465, गुरदासपुर में 458, बठिंडा में 402, फाजिल्का में 311, होशियारपुर में 271 और संगरूर में 260 मामले सामने आए हैं. वहीं,  2023 में इसी अवधि के दौरान खेतों में आग लगने की 4,996 घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि 2022 में इसी अवधि के दौरान पराली जलाने की 8,664 घटनाएं दर्ज की गईं.

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किसान क्यों जला रहे हैं पराली

पीएयू के कुलपति डॉ. सतबीर सिंह गोसल के अनुसार, राज्य में खेतों में आग लगने की घटनाओं में वृद्धि के लिए कई कारक योगदान दे रहे हैं. सबसे पहले, गेहूं के भूसे, जिसे पशुओं के चारे के रूप में पसंद किया जाता था, उसकी कीमत में काफी गिरावट आई है. इसके कारण किसानों को इसके लिए उचित मूल्य नहीं मिल रहा है. ऐसे में किसान पराली को जला रहे हैं. दूसरे, ग्रामीण घरों में मवेशी रखने की घटती प्रवृत्ति एक योगदान कारक है. चूंकि मांग में गिरावट आई है, कीमतें भी गिर गई हैं. 

यूरिया की खपत बढ़ जाती है

डॉ. गोसल ने कहा कि कुछ किसान, जो दलहन की बुआई कर रहे थे, खेतों को खाली करने के लिए अवशेषों में आग भी लगा रहे हैं. अगर किसान पराली को आग लगाना जारी रखेंगे, तो मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार के लिए उन्हें अधिक यूरिया और उर्वरकों का उपयोग करना होगा, जिसका अर्थ है अधिक इनपुट लागत. उन्होंने कहा कि हम किसानों से आग्रह करते हैं कि वे गेहूं के अवशेषों को आग न लगाएं.

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