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बोधगया के इलरा गांव में खेतों से निकालता 200 से 300 सौ टन टमाटर , बदल गई किसानों की किस्‍मत 

बोधगया के इलरा गांव में खेतों से निकालता 200 से 300 सौ टन टमाटर , बदल गई किसानों की किस्‍मत 

भगवान बुद्ध की ज्ञान स्थली बोधगया प्रखंड के इलरा गांव के किसान अपने सैकड़ो एकड़ खेतो में इस वर्ष अभिलाषा टमाटर की खेती की है. खेतों में टमाटर की अच्छी फसल हुई है जिससे इलरा गांव के किसान बहुत ही खुश हैं. उन्‍हें बाजारों में भी इस अभिलाषा टमाटर की अच्छी कीमत मिल रही है.

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अभिलाषा टमाटर से हो रहा किसानों को जमकर फायदा अभिलाषा टमाटर से हो रहा किसानों को जमकर फायदा

भगवान बुद्ध की ज्ञान स्थली बोधगया प्रखंड के इलरा गांव के किसान अपने सैकड़ो एकड़ खेतो में इस वर्ष अभिलाषा टमाटर की खेती की है. खेतों में टमाटर की अच्छी फसल हुई है जिससे इलरा गांव के किसान बहुत ही खुश हैं. उन्‍हें बाजारों में भी इस अभिलाषा टमाटर की अच्छी कीमत मिल रही है. आपको बता दें की अभिलाषा टमाटर की गुणवत्ता अच्छी होती है. एक बार में अभिलाषा टमाटर के एक पौधे में कम से कम 20 से 25 टमाटर निकलते हैं. ये टमाटर काफी अच्‍छे होते हैं. अभिलाषा टमाटर के पौधे खेतों में 50 से 60 दिनों में फल देने लगते हैं. जबकि आम टमाटर के पौधे 70 से 75 दिनों में फल देते हैं.  

गेहूं और चावल की खेती नहीं

इलरा गांव के किसान ज्यादातर सब्जी की ही खेती किया करते हैं और धान, गेहूं जैसे अनाजों की खेती यहां बहुत ही कम होती है. किसान सिर्फ अपने उपयोग के लिए ही गेहूं और धान की खेती करते हैं. इस वर्ष इलरा गांव के किसानों को टमाटर की खेती से अच्छा मुनाफा हुआ है. इलरा गांव के खेतों से प्रतिदिन 200 से 300 सौ टन टमाटर निकाल रहा है. यह टमाटर बिहार के गया जिले की सब्जी मंडी के साथ साथ औरंगाबाद , नवादा , जहानाबाद ,पटना और झारखंड के हजारीबाग स्थित सब्जी मंडी तक जाता है. 

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टमाटर से मुनाफा कमा रहे किसान 

इलरा गांव में टमाटर की खेती कर रहे किसानों ने बताया की इस गांव के एक किसान कम से कम 10 बीघा में टमाटर की खेती करते हैं. इस गांव के किसानों को पिछले साल टमाटर का सही रेट नहीं मिलने के कारण काफी नुकसान हुआ था. इसकी वजह से किसानों को कोई फायदा नहीं हुआ था. लेकिन इस साल टमाटर की फसल भी अच्छी हुई है और बजार में रेट भी सही मिल रहा है. हालांकि बेमौसम बारिश के कारण टमाटर में थोड़ा दाग जैसा लग गया है मगर टमाटर की फसल बहुत ही अच्छा है. जो रेट किसानों को चाहिए, वह भी उन्‍हें मिल रहा है. कभी बीच में दाम कम रह जाता है लेकिन इसके बाद भी उन्‍हें फायदा हो रहा है. 

स्‍टोरेज की सुविधा न होने से दिक्‍कत 

इलरा गांव के किसान अभिलाषा टमाटर की खेती करते हैं. इस गांव के अलावा पूरे जिले में अभिलाषा टमाटर की खेती नहीं होती है. यहां के किसान सुबह नौ बजे से खेतों में मजदूरों के साथ टमाटर तोड़ने लगते हैं. शाम होते ही पैकिंग करने लगते है. अगर गांव में इस टमाटर के स्टोरेज की व्यवस्था होती तो किसान को और भी मुनाफा होता. कभी -कभी सब्जी मंडी में रेट नहीं मिलता है जिस वजह से खेत में मजदूरी करने वाले मजदूर को भी पैसा देने में दिक्कत होती है.  यह कच्‍चा माल है इस वजह से स्टोरेज में भी दिक्कत होती है. अभी किसान सब्जी मंडी में दस रुपए प्रति किलो टमाटर बेच रहे हैं. सिर्फ इलरा गांव में 50 से 60 बीघा में किसान टमाटर की खेती कर रहे हैं. सिर्फ इलरा गांव से 200 से 300 सौ टन टमाटर सब्जी मंडी प्रतिदिन जाता है. 

(पंकज कुमार)

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