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मूंग दाल की बुवाई के लिए अभी भी है समय, इस तकनीक से बंपर होगी उपज और मुनाफा भी मिलेगा ज्यादा

मूंग दाल की बुवाई के लिए अभी भी है समय, इस तकनीक से बंपर होगी उपज और मुनाफा भी मिलेगा ज्यादा

दालों की अधिक कीमत के चलते दाल का रकबा बढ़ने की संभावना है. केंद्र भी दालों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. ऐसे में जायद सीजन के लिए मूंग दाल की बुवाई के लिए अभी भी समय है. किसान नीचे बताए जा रहे बिंदुओं और मॉडर्न तकनीक पर ध्यान दें तो उन्हें कम लागत में अधिक उपज का लाभ मिल सकेगा.

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केंद्र ने किसानों से एमएसपी दरों पर मूंग दाल खरीद का वादा किया है. केंद्र ने किसानों से एमएसपी दरों पर मूंग दाल खरीद का वादा किया है.

दालों की मिल रही अधिक कीमत के चलते किसानों का रुख दाल बुवाई की ओर बढ़ रहा है. केंद्र सरकार भी दालों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. ऐसे में यदि जायद सीजन के लिए किसानों ने अब तक मूंग दाल की बुवाई नहीं की है तो उनके पास अभी भी करीब सप्ताह भर का समय है. हालांकि, जो किसान अभी बुवाई से चूक गए हैं वे खरीफ सीजन में जून से जुलाई तक भी मूंग की बुवाई कर सकते हैं. जायद में मूंग बुवाई के लिए सोच रहे किसानों को बंपर उपज पाने के लिए कुछ बिंदुओं और मॉडर्न तकनीक पर ध्यान देना होगा. इससे उन्हें कम लागत में अधिक उपज का लाभ मिल सकेगा. 

दलहनी फसलों में मूंग को प्रमुख रूप से गिना जाता है और इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्वों की वजह से बाजार में इसकी अच्छी खासी मांग रहती है. किसानों को मूंग की बुवाई के लिए केंद्र सरकार सहकारी समिति एनसीसीएफ और पैक्स (PACS) के जरिए हाई क्वालिटी वाले बीज उपलब्ध करा रही है. जबकि, बुवाई से लेकर, सिंचाई, कटाई और बिक्री, भंडारण तक की जानकारी दे रही है. केंद्र ने किसानों से एमएसपी दरों पर दाल खरीद का वादा भी किया है. 2023-24 फसल सीजन के लिए मूंग दाल का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी रेट 8558 रुपये प्रति क्विंटल है, जो बीते सीजन की तुलना में 803 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है. 

मूंग बुवाई के लिए खेत तैयार कैसे करें किसान 

उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान में मूंग दाल की बुवाई खूब होती है. इन राज्यों की जलवायु और मिट्टी इस दाल की खेती के लिए अनुकूल होती है. उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग के अनुसार मूंग दाल की बुवाई के लिए सबसे पहले खेत और मिट्टी को तैयार करना जरूरी होता है. मूंग की खेती के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है.

  1. बुवाई के लिए किसान सबसे पहले खेत में पलेवा करके दो जुताई कर लें. 
  2. अगर मिट्टी में नमी की कमी हो तो दोबारा पलेवा करके बुवाई की जाए. 
  3. क्योंकि जायद सीजन के लिए मूंग की बुवाई के लिए अब कम समय है इसलिए ट्रैक्टर,पावर टिलर रोटोवेटर या अन्य मॉडर्न कृषि यंत्रों से खेत को जल्दी तैयार करना चाहिए.

खेत के अनुसार बीज की सही मात्रा जरूरी 

मूंग दाल की बुवाई के लिए खेत में बीज की सही मात्रा रखना बंपर उपज पाने के लिए जरूरी है. यूपी सरकार के कृषि विभाग के अनुसार प्रति हेक्टेयर खेत में 20-25 किलोग्राम मूंग का बीज बुवाई के लिए सही है. बीज की बुवाई से पहले उसका उपचार जरूरी है. इसके लिए 2.5 ग्राम थीरम या इसके साथ 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम या 5-10 ग्राम ट्राइकोडर्मां एक किलो बीज के साथ मिलाना चाहिए. इससे बीज रोग मुक्त हो जाता है और बीज मिट्टी में अच्छे से पकड़ बनाता है, जो पौधे को पोषकता से भरने में मदद करता है और उपज अधिक मिलती है. 

किसान बुवाई के लिए क्या करें और क्या न करें 

बीज को प्योर यानी शुद्ध और रोगमुक्त करने की प्रक्रिया के बाद बीजों को एक बोरे पर फैलाकर राइजोबियम तरीके से तैयार करें. राइजोबियम विधि से नाइट्रोजन की जरूरत कम हो जाती है. 

  • रोइबोजियम विधि के लिए आधा लीटर पानी में 250 ग्राम गुड़ और 200 ग्राम राइजोबियम का पूरा पैकेट मिला दें. 
  • इस मिश्रण को 10 किलो बीज के ऊपर छिड़क कर हल्के हाथ से मिलायें, जिससे बीज के ऊपर एक हल्की परत बन जाती है. 
  • इसके बाद बीज को छाया में 1-2 घंटे में सुखाकर सुबह 9 बजे से पहले या शाम 4 बजे के बाद बुवाई करें. 
  • तेज धूप में बीज का फैलाव न करें, क्योंकि तेज धूप में पौधे को पनपने में मदद करने वाले जीवाणुओं के मरने का खतरा रहता है. 
  • ऐसे खेतों में जहां मूंग की खेती पहली बार अथवा काफी समय के बाद की जा रही हो वहां अच्छी उपज के लिए राइबोजियम विधि जरूर अपनाएं.
  • मूंग की बुवाई के लिए जुताई के बाद खेत में बनी लाइनों (कूड़ीं) में 4-5 सेंटीमीटर की गहराई पर करें और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 25-30 सेंटीमीटर रखें. 

खाद का इस्तेमाल कितना और कब करें 

मूंग की बुवाई के लिए खेत में खाद की सही मात्रा का होना भी जरूरी है. इसके लिए किसान 10-15 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो ग्राम फास्फोरस, 20 किलो पोटाश और 20 किलो सल्फर प्रति हेक्टर में इस्तेमाल करें. अगर सुपर फास्फेट उपलब्ध न हो तो 1 क्विटंल डीएपी और 2 क्विंटल जिप्सम का प्रयोग बुवाई के साथ किया जाये.

  1. फास्फोरस के इस्तेमाल से मूंग की उपज में बढ़ोत्तरी होती है.
  2. खाद की मात्रा बुवाई के समय कूड़ों में बीज से 2-3 सेंटीमीटर नीचे देना चाहिए. 
  3. अगर राइजोबियम विधि का इस्तेमाल करना हो तो उसके लिये मिट्टी में नमी की होनी जरूरी है. 

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