प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए हिमाचल सरकार ने किसानों को उपज का अधिक दाम देने की घोषणा की है. राज्य सरकार ने कहा है कि प्राकृतिक तरीके से उगाए गए गेहूं के लिए राज्य सरकार 4000 रुपये प्रति क्विंटल का भाव किसानों को दे रही है. किसानों को गेहूं के लिए मिलने वाली यह राशि देशभर में सर्वाधिक है. इसी तरह मक्का के लिए भी राज्य सरकार एमएसपी से अधिक दाम दे रही है.
हिमाचल प्रदेश ने प्राकृतिक खेती के तहत गेहूं और मक्के के लिए भारत में सबसे अधिक समर्थन मूल्य निर्धारित किया है. इससे किसानों को आय बढ़ाने में मदद करने के साथ ही प्राकृतिक खेती के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है. यह बात हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू ने शुक्रवार को देर शाम एक कार्यक्रम में कहीं. उन्होंने कहा कि राज्य में किसानों को उनकी उपज का सही दाम मिल सके, इसके लिए उपज की समय पर खरीद की व्यवस्था की गई है और क्रय केंद्रों को स्थापित किया गया है.
एजेंसी के अनुसार मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने टिकाऊ और किसान हितैषी नीतियों को बढ़ावा देने के प्रयास में भारत में प्राकृतिक खेती के तहत गेहूं और मक्के के लिए सबसे अधिक समर्थन मूल्य निर्धारित करके एक अग्रणी कदम उठाया है. राज्य में कृषि विभाग के अधीन जमीन पर पूरी तरह से प्राकृतिक तरीके से खेती कराने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों से 40 रुपये प्रति किलोग्राम गेहूं और 30 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से मक्का खरीद कर एक मील का पत्थर हासिल किया गया है. राज्य सरकार के इस फैसले से किसानों को गेहूं के 4000 रुपये प्रति क्विंटल दाम मिल रहा है, जो न्यूनतम समर्थन मूल्य 2425 से 1575 रुपये प्रति क्विंटल अधिक है. जबकि, मक्का के लिए किसानों को 3000 रुपये प्रति क्विंटल का दाम दिया जा रहा है, जो केंद्र की ओर से तय न्यूनतम समर्थन मूल्य 2225 से 775 रुपये प्रति क्विंटल अधिक है.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्य में अब तक 1508 किसानों से 398 मीट्रिक टन प्राकृतिक रूप से उगाए गए मक्के की खरीद की गई है. मक्का किसानों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के जरिए 1.19 करोड़ रुपये का भुगतान सीधे उनके बैंक खातों में किया गया है. जबकि, राज्य में गेहूं की खरीद 1 अप्रैल से शुरू होने के लिए क्रय केंद्रों पर तैयारियां चल रही हैं. पिछले साल 1 अप्रैल से ही गेहूं की सरकारी खरीद शुरू हुई थी.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू ने कहा कि प्राकृतिक तरीके से खेती करके उगाई गई उपज को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने बाजार में हिम भोग हिम मक्की आटा लॉन्च किया है और प्राकृतिक खेती से मक्का उगाने वाले प्रति परिवार से 20 क्विंटल तक मक्का खरीदी जा रही है. इससे किसानों को एक स्थिर आय का भरोसा मिला है. प्राकृतिक खेती के उत्पादों की बिक्री को सुव्यवस्थित करने के लिए 10 कृषि मंडियों में बुनियादी ढांचे को मॉडर्न बनाया जा रहा है.
दिसंबर 2024 के आंकड़ों के अनुसार हिमाचल प्रदेश में 35,000 हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती की जा रही है. यह खेती 1.98 लाख किसान कर रहे हैं. किसानों की मदद के लिए 1.5 लाख से अधिक किसानों का मुफ्त सर्टिफिकेशन किया गया है और इस साल 36,000 से अधिक किसानों को प्राकृतिक खेती की पहल से जोड़ा जा रहा है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today