Monsoon Rain: बारिश बढ़ते ही धान की रोपाई ने पकड़ी तेजी, लेकिन इन फसलों की थम गई रफ्तार

Monsoon Rain: बारिश बढ़ते ही धान की रोपाई ने पकड़ी तेजी, लेकिन इन फसलों की थम गई रफ्तार

पहले मॉनसून की बारिश नहीं हुई जिससे धान की रोपाई पिछड़ गई. अब बारिश शुरू हुई है तो रोपाई में भी तेजी देखी जा रही है. लेकिन दलहन और सोयाबीन की खेती उन इलाकों में अब भी पिछड़ी हुई है जहां अच्छी बारिश नहीं हो रही.

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Monsoon Rain: बारिश बढ़ते ही धान की रोपाई ने पकड़ी तेजी, लेकिन इन फसलों की थम गई रफ्तारमॉनसून की बारिश बढ़ते ही रोपाई में तेजी देखी जा रही है

देश में अच्छी बारिश होने से धान की बुआई तेज हुई है, लेकिन बाकी फसलों की बुआई पिछड़ सकती है. धान के बारे में कहा जा रहा है कि अभी तक इसकी रोपाई में किसी तरह की देरी नहीं देखी जा रही क्योंकि बारिश बढ़ने के साथ ही इसकी रोपाई ने भी तेजी पकड़ ली. जिन लोगों ने बारिश नहीं होने से धान की रोपाई रोक दी थी, अब वे भी बरसात शुरू होते ही इस काम में लग गए हैं. धीरे-धीरे उन इलाकों में रोपाई बढ़ रही है जहां किसान बारिश का इंतजार कर रहे थे. कृषि आयुक्त पीके सिन्हा के मुताबिक बारिश में थोड़ी-बहुत कमी का असर धान की खेती पर नहीं दिखेगा. समय के साथ इसकी भरपाई हो जाएगी.

अभी तक पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छ्त्तीसगढ़, बंगाल और ओडिशा में मॉनसून की बारिश कम है. इससे धान की रोपाई में कुछ विलंब हो सकता है. इन क्षेत्रों में अगर अगस्त के पहले हफ्ते तक अच्छी बारिश नहीं होती है तो धान की खेती पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है. देश के दक्षिणी इलाकों में भी मॉनसून में देरी थी जिससे दालों की बुआई पिछड़ गई. अब वहां बारिश शुरू होते ही दालों की खेती ने जोर पकड़ लिया है. 

मक्के की दोबारा होगी बुआई

पिछले हफ्ते तक सोयाबीन की खेती में सामान्य से 50 फीसद बढ़ोतरी दर्ज की गई. जिन इलाकों में सोयाबीन की बुआई हो गई है, वहां बारिश भी अधिक नहीं है. इससे फसल पर बुरा असर पड़ने की आशंका नहीं दिख रही. पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों को छोड़ दें तो मौजूदा खरीफ सीजन में फसलों पर कोई खास असर नहीं होगा. पंजाब, हिमाचल और उत्तर प्रदेश के बाढ़ प्रभावित इलाकों में कुछ फसलें चौपट हुई हैं जहां दोबारा बुआई की जरूरत होगी. इन राज्यों में मक्का, बाजरा और चारे की बुआई दोबारा करने की जरूरत पड़ेगी. दाल खासकर उड़द की दोबारा बुआई करनी होगी.

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ऊपर बताए गए राज्यों में समय से बारिश नहीं होने से दो से छह प्रतिशत तक बुआई प्रभावित हुई है, इसलिए अतिरिक्त बीजों और खादों की जरूरत पड़ेगी. चावल की जहां तक बात है तो जिन धान प्रधान क्षेत्रों में बारिश नहीं हुई है, वहां किसानों को इंतजार करना चाहिए. जब बारिश हो तभी धान रोपाई करने की सलाह दी जाती है. इससे उपज भले ही कम हो, लेकिन किसान अपनी पैदावार निकाल सकते हैं. मॉनसून पिछड़ने की वजह से कपास और सोयाबीन की बुआई धीमी पड़ रही है, लेकिन बारिश का दौर जैसे ही शुरू होगा, कपास की खेती तेजी पकड़ लेगी. 

सब्जियों की खेती को नुकसान

हाल के दिनों में भारी बारिश से यूपी के कई इलाकों में सब्जी की खेती प्रभावित हुई है. सबसे ज्यादा नुकसान मिर्च को हुआ है. पालक के अलावा धनिया को भी बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है. बारिश होने से भिंडी के फूल गिर गए हैं जिससे आने वाले समय में इसकी पैदावार घट सकती है. खीरे के साथ भी ऐसी ही बात है. किसान इस उम्मीद में हैं कि नए फूल आएंगे उसके बाद ही नई उपज निकल सकेगी. एक्सपर्ट के मुताबिक जिन फसलों को बार-बार तोड़ा जाता है, हालिया बारिश से उनका सबसे अधिक नुकसान हुआ है.

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