भीषण गर्मी और लू की वजह की दाल की मांगें प्रभावित हुई हैं. वहीं, व्यापारियों का कहना है कि इसी तरह तापमान में बढ़ोतरी जारी रही तो, आने वाले दिनों में दालों की डिमांड में और कमी आएगी. खास बात यह है कि मांग में कमी के कारण पिछले महीने चना जैसी दालों की कम खरीदारी हुई, जिससे कीमतों में नरमी आई है. वहीं, सरकार ने पीली मटर का आयात 30 जून तक बढ़ा दिया है. उसे उम्मीद है कि उसकी इस कोशिश से दालों का रेट और सस्ता होगा.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, शीर्ष व्यापार निकाय, इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बिमल कोठारी ने कहा कि बढ़ते तापमान के कारण दालों का उठान बहुत कम है. हालांकि उनका ये भी कहना है कि गर्मी के मौसम के दौरान दालों की मांग में मंदी कोई नई बात नहीं है. ऐसा हर साल होता है. उनकी माने तो आने वाले महीनों में तापमान में गिरावट आते ही दालों की मांग पहले की तरह ही हो जाएगी. वहीं, आईपीजीए ने अपने बाजार अपडेट में कहा कि ऊंची दरों पर धीमी खरीदारी और चुनिंदा बाजारों में बढ़ती आवक के कारण प्रमुख उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश में चना की कीमतें गुरुवार को 100-150 रुपये प्रति क्विंटल कम हो गईं.
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कोठारी ने कहा कि तुअर को छोड़कर बाकी सभी दालों की कीमतें में गिरावट आई है. उनकी माने तो तुअर दाल को लेकर अभी भी चिंताएं बनी हुई हैं. उनका कहना है कि पूरे साल तुअर दाल की कीमतें इसी तरह बनी रहेंगी, क्योंकि नई फसल दिसंबर के आसपास बाजार में आ जाएगी. इसके बाद ही कीमतों में गिरावट की उम्मीद की जा सकती है. कोठारी ने कहा कि हर कोई जानता है कि पिछले कुछ वर्षों में अरहर का उत्पादन कम रहा है. ऐसे में वैकल्पिक दालों के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है.
वहीं, किस्म और गुणवत्ता के आधार पर कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में तुअर की मंडी कीमतें 8,000-12,233 रुपये प्रति क्विंटल के बीच हैं. कोठारी ने कहा कि जहां मसूर दाल मिनिमम सपोर्ट प्राइस (एमएसपी) से नीचे लगभग 6,000 रुपये पर बिक रहा है. हालांकि, चना दाल एमएसपी से लगभग 10-15 प्रतिशत ऊपर है, जिसकी कीमत 6,000-6,500 के बीच है. कोठारी ने कहा कि पीली मटर की कीमतें 4,000 और 4,100 रुपये प्रति क्विंटल के बीच हैं, जबकि उड़द लगभग 9,000-9,500 रुपये के बीच कारोबार कर रहा है.
सरकार ने हाल ही में पीली मटर के लिए आयात विंडो को इस साल 30 जून तक बढ़ा दिया है. कोठारी ने कहा कि अब तक लगभग 15 लाख टन पीली मटर का आयात किया जा चुका है. कोठारी ने कहा कि जून के अंत तक पीली मटर का आयात 1.7-1.8 मिलियन टन के बीच होने की संभावना है. वहीं, भारतीय मौसम विभाग ने आगामी वर्ष के लिए सामान्य से अधिक मॉनसून की भविष्यवाणी की है. ऐसे में खरीफ फसल की अच्छी पैदावार की उम्मीद है.
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