सरसों और गेहूं के साथ-साथ इस बार चने की सरकारी खरीद भी जमकर हो रही है. नाफेड आठ राज्यों में इसकी खरीद कर रहा है. अब तक देश में 18,17,127 मीट्रिक टन चना खरीदा जा चुका है, जिसकी एमएसपी की रकम 9694 करोड़ रुपये हो चुकी है. देश में अब तक 8,18,628 किसानों ने एमएसपी पर चना बेचा है. जिन्हें यह रकम मिलेगी. रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 के लिए चने की एमएसपी 5335 रुपये प्रति क्विंटल तय है. नाफेड इसी भाव पर इसकी खरीद कर रहा है. खास बात यह है कि देश का सबसे बड़ा चना उत्पादक मध्य प्रदेश खरीद के मामले में अब भी महाराष्ट्र से पिछड़ा हुआ है.
इसकी सरकारी खरीद के मामले में 6.29 लाख टन के साथ पहले नंबर पर महाराष्ट्र है कायम है. खरीद प्रक्रिया शुरू होने से लेकर अब तक वो सबसे आगे है. जबकि 6.20 लाख मीट्रिक टन के साथ दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश है. जबकि गुजरात में 3 लाख मीट्रिक टन की खरीद हो चुकी है. हालांकि इस मामले में राजस्थान अभी काफी पीछे है. यहां अब तक मुश्किल से 68 हजार मीट्रिक टन भी चना नहीं खरीदा जा सका है.
इसे भी पढ़ें: रासायनिक उर्वरकों के डायवर्जन के खिलाफ केंद्र की बड़ी कार्रवाई, 70,000 बोरी नकली यूरिया जब्त
गेहूं की तरह चना खरीद में भी उत्तर प्रदेश काफी पिछड़ा हुआ है. यहां अब तक सिर्फ 7109 मीट्रिक टन चना खरीदा गया है. जिसकी एमएसपी 37.93 करोड़ रुपये बन रही है. दूसरी ओर, तेलंगाना में 50 हजार मीट्रिक टन की खरीद पूरी हो चुकी है. आंध्र प्रदेश में 63452 मीट्रिक टन चना खरीदा गया है. इसी तरह कर्नाटक में एमएसपी पर 79 हजार मीट्रिक टन चना खरीदा जा चुका है.
एमएसपी पर चना बेचने वाले महाराष्ट्र के किसानों को 3358 करोड़ रुपये की एमएसपी मिलेगी. जबकि मध्य प्रदेश में 3308 करोड़ रुपये भेजे जाएंगे. गुजरात के किसानों को 1601 करोड़ रुपये न्यूनतम समर्थन मूल्य के तौर पर मिलेंगे. कर्नाटक के किसानों को चने की एमएसपी के तौर पर 421 करोड़ रुपये मिलेंगे. इसी तरह राजस्थान को 361 करोड़, आंध्र प्रदेश को 339 करोड़ और तेलंगाना के किसानों को 268 करोड़ रुपये मिलेंगे.
चना उत्पादन के मामले में राजस्थान एक अहम राज्य है. यहां इस साल 6,65,028 मीट्रिक टन चना खरीदने का लक्ष्य है. जिसमें से अब तक महज 67,654 मीट्रिक टन ही खरीद हो सकी है. यानी एक लाख टन भी नहीं. यह बहुत ही गंभीर मामला है. यहां के किसान नेता रामपाल जाट का कहना है कि सरकारी खरीद न होने की वजह से किसानों को उचित दाम नहीं मिल पा रहा है. उन्हें व्यापारियों को चना बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. सूबे में 75181 किसानों ने चना बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है.
इसे भी पढ़ें: जलवायु परिवर्तन के दौर में क्या कृषि क्षेत्र के लिए घातक होगा ICAR में बड़ा बदलाव?
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today