बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम के लिए हरियाणा कृषि विभाग की ओर से पराली जलाने वाले किसानों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. खेत में पराली जलाने वाले किसानों को 2 सीजन के लिए ई-खरीद पोर्टल पर बिक्री की अनुमति नहीं मिलेगी. इससे किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी का लाभ नहीं मिल सकेगा. इसके अलावा ऐसे किसानों को बिजली शुल्क, सिंचाई-पानी और खाद में सरकारी छूट भी नहीं दी जाएगी. हरियाणा के कृषि विभाग ने राज्य के सभी कमिश्नर, पुलिस अधीक्षक और सभी कृषि उपनिदेशकों को सुप्रीमकोर्ट के निर्देशों के अनुसार पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा है.
हरियाणा के कृषि विभाग की ओर से कहा गया है कि 16 अक्टूबर को सुप्रीमकोर्ट ने एमसी मेहता बनाम भारत संघ एवं अन्य के मामले में कहा कि 10 जून 2021 को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के निर्देश के खंड 14 के अनुसार एक भी मामले में कार्रवाई नहीं की गई है. जबकि, 12 अक्टूबर 2024 तक आग लगने के 191 मामले दर्ज किए जा चुके हैं, लेकिन केवल आरोपियों से नाममात्र का जुर्माना वसूला गया है. यहां तक कि आदेश के पैराग्राफ 14 के अनुसार मशीनरी भी नहीं लगाई गई है. जबकि, आयोग का आदेश पिछले 3 साल से अधिक समय से लागू है.
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) की ओर से 10 जून 2021 को जारी निर्देशों में राज्यों से पराली जलाने को लेकर गंभीर इलाकों के आधार पर अधिकारियों की तैनाती करने को कहा, जिससे यह पक्का किया जा सके कि पराली जलाने पर रोक के आदेशों का पालन हो. इसके अलावा पराली जलाने की हर घटना की एंड-टू-एंड रिपोर्टिंग हो और फसल अवशेष जलाने के मामलों में पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 की धारा 15 और अन्य प्रासंगिक कानूनों के तहत एफआईआर दर्ज करने सहित उचित दंडात्मक कार्रवाई हो.
ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार कृषि विभाग की ओर से यह निर्देश दिया गया कि पुलिस विशेष रूप से उन हॉट स्पॉट की निगरानी के लिए जिला प्रशासन को विशेष सहायता करेगी, जहां पिछले वर्षों में फसल अवशेष जलाने की सबसे ज्यादा घटनाएं देखी गई हैं. निर्देश दिया गया कि जहां पराली जलाने की घटनाएं रिपोर्ट की गई हैं उन खेतों या खेत मालिकों के खिलाफ पटवारी गिरदावरी रजिस्टर या अभिलेखों में रेड इंक यानी लाल स्याही की रिपोर्ट दर्ज की जाए.
निर्देशों में कहा गया है कि हर उल्लंघनकर्ता या ऐसे रेड इंक एंट्री मामलों के लिए कड़ी कार्रवाई के लिए एक सिस्टम बनाया जाना चाहिए और उसे लागू किया जाना चाहिए. कार्रवाई में बिजली शुल्क, सिंचाई या पानी के शुल्क, उर्वरक में दी जाने वाली रियायतों को रोकना शामिल हो सकता है. बता दें कि हरियाणा सरकार ने हाल ही में आदेश दिया है कि पराली जलाने वाले किसानों या नियम उल्लंघन करने वालों को अगले 2 सीजन के लिए ई-खरीद पोर्टल के माध्यम से अपनी उपज बेचने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
हरियाणा के कृषि निदेशक राजनारायण कौशिक ने सभी डीसी और एसपी को सीएक्यूएम के 2021 के निर्देशों के अनुसार कार्रवाई करने और पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 की धारा 15 और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 223 यानी लोक सेवक के नियमों नहीं मानने और धारा 280 यानी प्रदूषण पैदा करने के लिए की धाराओं में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है.
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