MSP Purchase: इस सीजन में चने की खरीद में सुस्त गति को देखते हुए सरकार खरीद को बढ़ावा देने के उपायों पर विचार कर रही है. सूत्रों की मानें तो चालू सीजन यानी 2024-25 में चना या छोले की खरीद, जिसका कुल दाल उत्पादन में लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा है, धीमी रही है. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि किसानों की सहकारी संस्था नेफेड और एनसीसीएफ जैसी एजेंसियों ने एक मीट्रिक टन के बफर के मुकाबले अब तक सिर्फ 0.2 मिलियन टन (एमटी) की खरीद की है.
एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि चूंकि मंडी की कीमतें 5650 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से थोड़ी ही नीचे चल रही हैं जिससे किसान एमएसपी पर एजेंसियों को अपनी उपज बेचने से बच रहे हैं. सूत्रों की मानें तो मूल्य समर्थन योजना के तहत खरीद अभियान अभी भी जारी है. ट्रेड सूत्रों की मानें तो मंडियों में दालों की कई किस्मों की आवक पहले ही अपने चरम को पार कर चुकी है. इस सीजन में प्राइवेट निजी प्रोसेसर्स की ओर से खरीद तेज रही है. साथ ही कई क्षेत्रों में बाजार मूल्य 5400 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास चल रहा है.
एक अधिकारी ने कहा कि बफर को बढ़ाने के लिए बाजार मूल्य पर खरीद करने से पहले हम अभी भी बाजार मूल्यों के विकसित होने का इंतजार कर रहे हैं. महाराष्ट्र दाल मिलर्स एसोसिएशन ने सरकार को हाल ही में भेजी अपनी चिट्ठी में विकल्प के तौर पर इस्तेमाल होने वाली पीले मटर के शुल्क मुक्त आयात को रोकने का अनुरोध किया था. इसके साथ ही बंगाल चने पर 60 प्रतिशत की इंपोर्ट ड्यूटी बहाल करने की अपील भी की गई है. ऐसा इसलिए है क्योंकि आयात में वृद्धि से मंडी की कीमतों पर असर पड़ रहा है.
वर्तमान में दिसंबर 2023 से 3 मीट्रिक टन से अधिक पीली मटर का आयात किया जा चुका है. सरकार चने की घरेलू आपूर्ति में सुधार करना चाहती थी क्योंकि फसल वर्ष 2022-23 में 12.26 मीट्रिक टन से 2023-24 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में उत्पादन घटकर 11 मीट्रिक टन रह जाने की आशंका है. पीली मटर के ड्यूटी फ्री इंपोर्ट की अनुमति 31 मई, 2025 तक है.
सूत्रों ने कहा कि पिछले फसल वर्ष में चना उत्पादन सरकारी अनुमान से काफी कम हुआ है. इसकी वजह से आयात नीति को थोड़ा उदार बनाया गया है. इसके अलावा पिछले वित्त वर्ष में ऑस्ट्रेलिया और तंजानिया ने 1.6 मीट्रिक टन बंगाल चना का आयात किया था जिस पर इस समय सिर्फ 10 फीसदी का ही आयाता शुल्क है. 2024-25 की फसल में कृषि मंत्रालय द्वारा चना उत्पादन थोड़ा अधिक यानी 11.53 मीट्रिक टन रहने का अनुमान लगाया गया है. वहीं निजी खरीद में वृद्धि के कारण सरकार के लिए खरीद कम हुई है.
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