Maharashtra Agriculture News: मई की शुरुआत से ही महाराष्ट्र के कई इलाकों में प्री-मानसून बारिश ने राज्य के प्याज किसानों की चिंताएं बढ़ा दी है. किसान एक तो पहले ही प्याज की गिरती कीमतों से परेशान थे, उस पर से बारिश ने अब उनकी मुश्किलों को दोगुना कर दिया है. प्याज जो किचन का एक अहम हिस्सा है, पिछले काफी समय से किसानों की परेशानी की बड़ी वजह बना हुआ है. सरकार ने अप्रैल में प्याज पर लगी 20 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी को हटा दिया गया था. माना गया था कि इससे किसानों को कुछ राहत मिलेगी लेकिन फिलहाल ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है.
महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक किसान संघ के संस्थापक अध्यक्ष भरत दिघोले ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि बारिश में हजारों एकड़ में लगी प्याज की फसल बर्बाद हो गई है. इससे किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि वास्तविक नुकसान का अभी पता नहीं चल पाया है क्योंकि बारिश जारी है और स्थिति का कोई भी आकलन नहीं किया गया है. कोंकण, नासिक, पुणे, कोल्हापुर, छत्रपति संभाजीनगर, लातूर, अमरावती और नागपुर में प्याज उत्पादक क्षेत्रों में 6 मई से ही भारी बेमौसम बारिश हो रही है. उन्होंने कहा, 'धुले, नासिक, अहिल्यानगर, छत्रपति संभाजीनगर, पुणे, सोलापुर, बीड, धाराशिव, अकोला, जालना, बुलढाणा और जलगांव के प्याज उत्पादक जिलों में बेमौसम बारिश हुई है. कीमतें पहले से ही कम थीं और बेमौसम बारिश के कारण और भी गिर गई हैं.'
दिघोले के अनुसार लासलगांव बाजार में 20 मई तक औसत कीमत 1,150 रुपये प्रति क्विंटल थी. दिघोले ने जानकारी दी कि किसान एक साल पहले से ही रबी सीजन की तैयारी शुरू कर देते हैं जिसमें अगस्त-सितंबर 2024 में नर्सरी लगाई जाती है और नवंबर (2024) से जनवरी (2025) तक फिर से रोपाई की जाती है. उन्होंने कहा कि इस साल मार्च से पहले फसल काटने वाले किसानों को प्रति एकड़ अच्छी उपज मिली है. वहीं अप्रैल-मई में कटाई करने वाले किसान उतने भाग्यशाली नहीं रहे हैं क्योंकि फसल को बहुत ज्यादा गर्मी और फिर बेमौसमी बारिश का सामना करना पड़ा है. कई किसानों के पास स्टोरेज की कोई सुविधा नहीं है. जो किसान खेतों में अपनी उपज को स्टोर करते हैं वो 6 मई से हुई बारिश में सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं.
दिघोले ने कहा कि इन किसानों की कटी हुई फसलें गीली हो गई हैं जबकि कई इलाकों में खड़ी फसलें भी खराब हो गई हैं. उनका कहना था कि साल 2022-23 में प्याज की खेती 5,53,212 हेक्टेयर में हुई, जबकि 2023-24 में यह 4,64,884 हेक्टेयर और 2024-25 में रिकॉर्ड 6,51,965 हेक्टेयर में हुई. नासिक देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक क्षेत्र है और दिघोले की जानकारी पर अगर यकीन करें तो 2024-25 में 2,90,136 हेक्टेयर में फसल की खेती की गई. जबकि 2023-24 में 1,67,285 हेक्टेयर और 2022-23 में 2,48,417 हेक्टेयर में फसल की खेती की गई.
दिघोले की मानें तो साल 2019 से केंद्र सरकार की तरफ से समय-समय पर प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद प्याज का निर्यात मजबूत रहा है और जरूरी रेवेन्यू हासिल हुआ है. इस मामले में महाराष्ट्र देश का अग्रणी राज्य है. उन्होंने देश भर के आंकड़े देते हुए कहा, '2018-19 में 21.83 लाख टन प्याज निर्यात किया गया जिससे 3,468 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा हासिल हुई. 2019-20 में 11.49 लाख टन निर्यात किया गया और राजस्व 2,320 करोड़ रुपये था. 2021-22 में यह 15.73 लाख टन और 3,432 करोड़ रुपये था. फिर 2022-23 में हमने 25.25 लाख टन प्याज का निर्यात किया और 4,522 करोड़ रुपये कमाए. इसी तरह से 2023-24 के लिए यह आंकड़ा 17.17 लाख टन और 3,922 करोड़ रुपये था.'
उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार को देश में जरूरी सालान उत्पादन को सार्वजनिक करना चाहिए ताकि किसान उसके अनुसार योजना बना सकें और अतिरिक्त उपज का निर्यात किया जा सके. दिघोले का कहना था कि ऐसी स्थिति में प्याज की कोई कमी नहीं होगी और उपभोक्ताओं को सस्ती दर पर प्याज मिल सकेगा. जब प्याज की कीमतें बढ़ती हैं, तो सरकार एक्सपोर्ट ड्यूटी, न्यूनतम एक्सपोर्ट प्राइस लगाकर और निर्यात को बैन करके इसे नियंत्रित करने के लिए कदम उठाती है. इससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है.
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