प्याज उत्पादक किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. अब उन्हें प्याज बेचने पर उचित कीमत मिल सकती है. क्योंकि केंद्र सरकार बफर स्टॉक बढ़ाने के लिए 2 लाख टन खरीफ प्याज की खरीद करेगी. उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार बफर स्टॉक बनाए रखने के लिए प्याज की तेजी से खरीद कर रही है. उन्होंने कहा कि 2023 के खरीफ सीजन में उगाए गए प्याज की अब तक 25,000 टन खरीद हो चुकी है. उनकी माने तो सरकार बफर स्टॉक बनाए रखने और घरेलू उपलब्धता को बढ़ावा देने के लिए प्याज खरीद रही है, ताकि कीमतों को नियंत्रित किया जा सके.
उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए बफर स्टॉक लक्ष्य को बढ़ाकर 7 लाख टन कर दिया है, जबकि पिछले साल वास्तविक स्टॉक 3 लाख टन था. सचिव के अनुसार, सरकार ने पिछले साल के रबी सीजन में 5 लाख टन प्याज खरीदा था और बफर स्टॉक लक्ष्य बढ़ाए जाने के कारण 2 लाख टन खरीफ प्याज खरीद रही है. सरकार को उम्मीद है कि उसके इस फैसले से किसानों को भी फायदा होगा और प्याज की बढ़ती कीमतों को भी नियंत्रित किया जा सकता है.
उन्होंने बताया कि अब तक मंडियों से लगभग 25,000 टन खरीफ प्याज की खरीद की जा चुकी है और आगे भी जारी है. बफर स्टॉक में पड़े 5 लाख टन रबी प्याज में से, सरकार ने कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए सहकारी संस्था नेफेड और एनसीसीएफ के माध्यम से 3.04 लाख टन प्याज बाजार में उतार दिया है. उन्होंने कहा कि इसके चलते प्याज की अखिल भारतीय औसत खुदरा कीमत एक महीने पहले की तुलना में 27.58 प्रतिशत कम होकर 42 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है. इससे आम जनता को काफी राहत मिली है.
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बता दें कि अक्टूबर महीने में प्याज अचानक महंगा हो गया था. अचानक इसकी कीमत 60 से 70 रुपये किलो हो गई थी. ऐसे में सरकार के ऊपर महंगाई को नियंत्रित करने के लिए दबाव बढ़ते जा रहा था. ऐसे में सरकार ने बीते दिसंबर महीने में प्याज के निर्यात पर बैन लगा दिया. इससे रिटेल मार्केट में प्याज की सप्लाई बढ़ने से कीमतों में गिरावट शुरू हो गई. लेकिन सरकार के इस फैसले से किसान नाराज हो गए. उन्होंने महाराष्ट्र में केंद्र के इस फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. किसानों का कहना है कि प्याज के निर्यात पर बैन लगाने से होलसेल मार्केट में प्याज की कीमत गिर गई है, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा है. वे लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं. लेकि, अब किसानों की उम्मीद एक बार फिर से जग गई है.
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