GI Tag: गोवा के आम ने जीत ही लिया दिल, देश की ये 7 चीजें हुईं दुनिया भर में मशहूर

GI Tag: गोवा के आम ने जीत ही लिया दिल, देश की ये 7 चीजें हुईं दुनिया भर में मशहूर

ऑल गोवा मैंगो ग्रोअर्स एसोसिएशन, पणजी ने चेन्नई स्थ‍ित जीआई रज‍िस्ट्री में क‍िया था मनकुराड आम को जीआई टैग द‍िलाने के ल‍िए आवेदन. 5000 से 6000 रुपये दर्जन तक पहुंच जाती है इसकी कीमत, अल्फांसो के स्वाद को भी देता है मात. गोवा की बेबिन्का म‍िठाई को भी म‍िला टैग.  

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GI Tag: गोवा के आम ने जीत ही लिया दिल, देश की ये 7 चीजें हुईं दुनिया भर में मशहूरगोवा के मशहूर मनकुराड आम को मिला जीआई टैग

गोवा के मशहूर मनकुराड आम और बेबिन्का सह‍ित देश के सात उत्पादों को ज‍ियोग्राफ‍िकल इंडीकेशन टैग (Geographical Indication Tag) द‍िया गया है. इसमें आम कृष‍ि उत्पाद है, जबक‍ि बेबिन्का म‍िठाई. इसके अलावा जलेसर धातु शिल्प, उदयपुरी कोफ्तगारी धातु शिल्प, बीकानेर की काशीदाकारी शिल्प, जोधपुर की बंधेज शिल्प और बीकानेर द्वारा सुरक्षित किए गए उस्ता कला शिल्प को भी जीआई टैग द‍िया गया है. जीआई टैग का इस्तेमाल ऐसे उत्पादों के लिए किया जाता है, जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र होता है. इन उत्पादों की खास विशेषता एवं प्रतिष्ठा भी इसी मूल क्षेत्र के कारण ही होती है. जीआई टैग म‍िलने के बाद कारोबार में आसानी होती है क्योंक‍ि लोकप्र‍ियता बढ़ जाती है. इसील‍िए जब भी खेती की बात आती है तो जीआई टैगिंग भी उसका एक महत्वपूर्ण ह‍िस्सा बन जाता है. 

हम सबसे पहले बात करते हैं मनकुराड आम की, जो अल्फांसो से भी महंगा होता है. यह गोवा का आम है जो लंबे समय से जीआई टैग का इंतजार कर रहा था. इसकी कीमत 5000 से 6000 रुपये प्रति दर्जन तक पहुंच जाती है. मनकुराड गर्मियों के दौरान गोवा में सबसे अधिक मांग वाली आम की किस्मों में से एक है. यह इतना महंगा होता है क‍ि क‍िसी के घर में मंकुराड का पेड़ होना गर्व की बात मानी जाती है. कई आम किसानों के लिए मनकुराड आय का बड़ा स्रोत होता है. 

क‍िसने क‍िया था मनकुराड आम के ल‍िए आवेदन 

अल्फांसो आम काफी लोकप्रिय है, लेकिन मनकुराड उससे भी ज्यादा स्वादिष्ट माना जाता है. गोवा की इस पहचान को अब पंख लग जाएंगे और जीआई म‍िलने का यहां के क‍िसानों को फायदा म‍िलेगा. मनकुराड आम के जीआई टैग के लिए आवेदन ऑल गोवा मैंगो ग्रोअर्स एसोसिएशन, पणजी ने दायर किया था. आम की इस किस्म को मैल्कोराडा, कार्डोज़ो मांकुराड, कोराडो और गोवा मांकुर के नाम से भी जाना जाता है. पुर्तगालियों ने इसका नाम मालकोराडा रखा था, जिसका अर्थ है खराब रंग वाला. लेक‍िन वक्त के साथ यह कोंकणी में मानकुराद बन गया. 

क्या है बेबिन्का

बेबिन्का भी गोवा की एक पहचान है. जिसे "गोवा डेसर्ट की रानी" भी कहा जाता है. दरअसल, यह सात से सोलह परतों वाला पुडिंग केक है जो धीरे-धीरे पकाकर बनाया जाता है. बेकर्स ढेर सारे अंडे की जर्दी को मैदा, भारतीय केक के आटे के साथ ही नारियल के दूध, चीनी और थोड़े से घी के साथ मिलाते हैं. यह गोवा का मशहूर बेकरी उत्पाद है. गोवा बेबिन्का के टैग के लिए ऑल गोवा बेकर्स एंड कन्फेक्शनर्स एसोसिएशन ने क‍िया था. एक पारंपरिक इंडो-पुर्तगाली म‍िठाई है. 

जीआई टैग देने का काम चेन्नई स्थ‍ित जीआई रज‍िस्ट्री करती है. टैग द‍िलाने के ल‍िए आवेदन करने वालों को यह बताना होता है क‍ि उन्हें टैग क्यों दिया जाए? उसकी खास‍ियत और ऐत‍िहास‍िक बात का सबूत देना होता है. उसकी जांच-पड़ताल करने के बाद टैग मिलता है. 

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कोफ्तगारी मेटल क्राफ्ट को टैग म‍िला 

राजस्थान के जिन चार अलग-अलग शिल्पों को जीआई टैग दिया गया है, उनमें 'उदयपुर कोफ्तगारी मेटल क्राफ्ट' भी शामिल है.'बीकानेर काशीदाकारी शिल्प' को भी यह तमगा म‍िल गया है. जो पारंपरिक रूप से विभिन्न प्रकार के महीन टांके और दर्पण-कार्य के साथ कपास, रेशम या मखमल पर बनाया जाता है. जोधपुर बंधेज शिल्प को भी टैग द‍िया गया है. बंधेज राजस्थान की सबसे प्रसिद्ध कपड़ा कला रूपों में से एक है. बीकानेर उस्ता कला शिल्प भी टैग म‍िला है.

जहां तक जलेसर धातु शिल्प की बात यह तो यह उत्तर प्रदेश के एटा जिले के जलेसर की पहचान है. यहां छोटी-बड़ी करीब 1200 यून‍िटों में इसे बनाने का काम होता है. जिनमें घुंघरू, पायल, घंटियां, सजावटी धातु शिल्प और पीतल के बर्तन आद‍ि बनते हैं. ठठेर समुदाय, यह उत्पाद बनाता है.

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