मई महीने के मध्य जाते-जाते जहां किसान रबी फसल की खेती से खाली होते हैं, वहीं खरीफ सीजन की खेती को लेकर तैयारियां भी शुरू कर देते हैं. जहां अधिकतर किसान मई के तीसरे सप्ताह से खरीफ धान की नर्सरी लगाने की तैयारी शुरू कर देते हैं, लेकिन जिस खेत में धान नहीं लगाई जाती, वैसे इलाकों के किसान खेत को खाली रखते हैं. हालांकि ऐसे किसान खरीफ मक्का, अदरक की खेती कर सकते हैं. इससे किसान कम लागत में अच्छी कमाई कर सकते हैं. डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा, समस्तीपुर द्वारा जारी साप्ताहिक रिपोर्ट में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा 15 मई से अदरक की खेती शुरू करने की सलाह दी जा रही है. वहीं, खरीफ मक्का की बुआई से पहले खेतों की तैयारी किसान शुरू करें.
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा, समस्तीपुर के कृषि वैज्ञानिक कि किसानों को अदरक की खेती की सलाह है. अदरक की बुवाई 15 मई के बाद करना काफी सही है. वहीं, उत्तर बिहार के किसानों के लिए अदरक की मरान और नदिया किस्म काफी उपयुक्त मानी जाती है. अदरक की खेती करने से पहले जुताई के दौरान खेत में 25 से 30 टन सड़ी गोबर, नाइट्रोजन 30 से 40 किलोग्राम, स्फूर 50 किलोग्राम, पोटाश 80 से 100 किलोग्राम, जिंक सल्फेट 20 से 25 किलोग्राम एवं बोरेक्स 10 से 12 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए.
कृषि वैज्ञानिकों द्वारा दी गई सलाह के अनुसार अदरक का बीज 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपयोग करना चाहिए. वहीं, बीज का वजन 20 से 30 ग्राम के बीच होना चाहिए, जिसमें तीन से चार स्वस्थ किल्लियां हों. खेत में बीज लगाने के दौरान कम से कम रोपाई की दूरी 30 से 20 सेंटीमीटर के बीच रखनी चाहिए. अच्छी उपज के लिए रीडोमिल दवा के 0.2 प्रतिशत घोल से बीज का उपचार करना चाहिए.
एक ओर जहां किसान आने वाले कुछ दिनों में खरीफ धान की नर्सरी लगाना शुरू करेंगे, वहीं मई महीने में किसान खरीफ मक्का की खेती के लिए भी तैयारी शुरू करें. इसके लिए सबसे पहले किसान खेत की जुताई में 10 से 15 टन गोबर की सड़ी खाद प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें. वहीं उत्तर बिहार के किसान अनुशंसित मक्का की किस्में स्वान, देवकी, शक्तिमान-1, शक्तिमान-2, राजेंद्र शंकर मक्का-3, गंगा 11 बीज का उपयोग कर सकते हैं. वहीं, खरीफ मक्का की बुवाई 25 मई से किसान शुरू करें. इसके साथ ही किसान इस बात का जरूर ध्यान दें कि मक्का की रोपाई ऊंचे स्थान पर करनी चाहिए.
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