गेहूं और चावल के बाद मक्का तीसरी महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है. इसकी खेती लगभग सभी जलवायु वाले क्षेत्रों में की जाती है. यह इंसानों के साथ-साथ पशु आहार और औद्योगिक उत्पादों के लिए भी महत्वपूर्ण है. मक्के के दाने में 10 प्रतिशत प्रोटीन, 4 प्रतिशत तेल, 70 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट और 2.3 प्रतिशत कच्चा फाइबर होता है. इसमें विटामिन ए, निकोटीन एसिड, राइबोफ्लेविन और विटामिन ई पाए जाते हैं. इसका उत्पादन 150 से अधिक देशों में होता है. इतनी बड़ी फसल होने के कारण दुनिया में इसकी खेती बड़े पैमाने पर होती है. इसकी कई वैरायटी ऐसी हैं जो किसानों को हाथोंहाथ कमाई देती हैं. इसी में एक है भुट्टा या कॉर्न. इसकी समय पर तुड़ाई और पैकिंग कर दूर-दूर तक भेजा जाता है और उससे आमदनी ली जाती है. ऐसे में भुट्टों की तुड़ाई से जुड़ी कुछ जरूरी बातें जान लेना चाहिए.
बीज की बुवाई के बाद करीब 45-50 दिन बाद नर पुष्पगुच्छ और 2-3 दिन बाद मादा पुष्पगुच्छ (सिल्क) दिखाई देने लगते हैं. खरीफ सीजन में भुट्टों की तुड़ाई परागण के 15-20 दिन बाद की जा सकती है. इस अवस्था की पहचान भुट्टे के ऊपरी भाग यानी सिल्क के सूखने से की जा सकती है. या इस अवस्था में भुट्टे को नाखून से दबाने पर दूध जैसा निकलने लगता है. इसके बाद शर्करा स्टार्च में बदलने लगती है, जिससे मिठास और क्वालिटी कम होने लगती है.
भुट्टे की कटाई सुबह या शाम के समय करें. हरा भुट्टा तोड़ने के बाद बचे हरे पौधे को चारे के रूप में उपयोग करें. तोड़ते समय इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है. जैसे बेबीकॉर्न के भुट्टे (गुल्ली) की कटाई तब करनी चाहिए, जब 1-3 सेमी सिल्क दिखाई देने लगे. भुट्टा तोड़ते समय उसके ऊपर की पत्तियां नहीं हटानी चाहिए. पत्तियां हटाने से वे जल्दी खराब हो जाती हैं. खरीफ में भुट्टे की कटाई हर दिन और रबी में एक दिन के अंतराल पर करनी चाहिए. क्रॉस संकर मक्का में 3-4 कटाई जरूरी है.
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मकई के भुट्टों को कटाई के तुरंत बाद प्रोसेसिंग यूनिट या बाजार में पहुंचा दें. उन्हें ढेर करके न रखें, बल्कि उन्हें लकड़ी के बक्से या डिब्बों आदि में रखें. कमरे के तापमान पर 24 घंटे के भीतर 50 परसेंट या उससे ज़्यादा स्वीटकॉर्न भुट्टे चीनी के दूसरे रूप में बदल जाते हैं. इसलिए, उन्हें हाइड्रोकूलिंग पैकेजिंग के बाद कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है. मकई के भुट्टों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाते समय बर्फ की मदद से ठंडा रखें. मकई के भुट्टों को प्लास्टिक ट्रे में भी ले जाया जा सकता है.
भुट्टे की खेती और रखरखाव के बाद अब बात इसके बिजनेस की. भुट्टा विश्व के सकल खाद्यान्न उत्पादन में एक चौथाई से अधिक का योगदान देता है. भारत मक्का उत्पादन में अमेरिका, चीन, ब्राजील और मैक्सिको के बाद पांचवें स्थान पर है और कुल मक्का उत्पादन में 3 प्रतिशत का योगदान देता है. मक्का उत्पादन का उद्देश्य अनाज, चारा, हरा मक्का, स्वीटकॉर्न, बेबीकॉर्न और पॉपकॉर्न के लिए है. सही उत्पादन के लिए सही उपज और फसलों की सही कटाई बहुत जरूरी है.
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