आम फलों का राजा है और मल्लिका आम इनमें से बेहद खास है. आम की यह किस्म खाने में बहुत ही स्वादिष्ट और पोषक तत्वों से भरपूर होती है. वैज्ञानिक विधि द्वारा इसके उत्पादन से 250 से 800 ग्राम तक के फल लिए जा सकते हैं. बाजार में भरपूर मात्रा में न मिलने के कारण इसकी मांग हमेशा बनी रहती है. किसानों को इस आम की खेती करने से 100 से 200 रुपये प्रति किलोग्राम तक का दाम मिल सकता है. आत्मनिर्भरता के लिए मल्लिका आम का उत्पादन बढ़ाना चाहिए, जिससे बाजार में आम पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हों और किसान को उचित दाम भी मिलता रहे. लेकिन आम की खेती से किसानों को तब सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा जब बाग पर कीटों के अटैक न हो. इस पर अगर फल मक्खी का अटैक होता है तो इसकी खेती बर्बाद हो जाती है.
केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, रहमानखेड़ा, लखनऊ की पौधशाला से इसकी नर्सरी मिल जाती है. इनकी कीमत लगभग 100 रुपये प्रति पौधा है. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि बरसात के समय मल्लिका आम के पौधे का रोपण हो जाना चाहिए. जिससे कि बागों में नमी बनी रहे और पौधे को पर्याप्त मात्रा में पानी मिलता रहे. पौधे जब धीरे-धीरे बड़े होने लगे तब कटाई-छंटाई करके पेड़ों की कैनोपी को उचित आकार दिया जा सकता है.
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जब फल परिपक्व हो जाते हैं तो फल मक्खी का प्रकोप बढ़ जाता है. इससे फलों को बहुत हानि होती है. मल्लिका आम के बागों में फल मक्खी का नियंत्रण रखने के लिए मिथाइल इयूजीनॉल यौन गंध ट्रैप का प्रयोग 10 ट्रैप प्रति हैक्टर की दर से किया जाना चाहिए. मार्च-अप्रैल के महीने में इसे आम के पेड़ों में इस ट्रैप को लगा देना चाहिए ताकि फल मक्खी नियंत्रित हो सकें.
फल मक्खी की अधिकता (5 मक्खी प्रति ट्रैप) हो तो साप्ताहिक अंतराल पर पेड़ के तने पर 100 ग्राम गुड़ (राब) को 1 लीटर पानी में घोलकर उसमें 2.8 ई.सी. का 2 मि.ली. डेल्टामेथ्रिन मिलाकर तने पर छिड़काव करें.
आम के निर्यात को प्रभावित करने वाला यह एक प्रमुख कीट है. इसका प्रबंधन अनिवार्य है.गर्मी के समय मल्लिका आम के पेड़ों में 20 से 30 लीटर पानी प्रति पेड़ एक सप्ताह के बाद देना चाहिए ताकि बागों में नमी बनी रहे.पानी डालने से फलों में वृद्धि होती है तथा बलुई मिट्टी में फल का गिरना एवं फटना भी रोका जा सकता है. इसी प्रकार अप्रैल-जून महीने में उचित मात्रा में पानी डालने से पानी की भी बचत होती है तथा उपज में भी वृद्धि होती है.
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