केरल: चाय के पौधों पर पाले का असर, कई इलाकों में पैदावार गिरने की आशंका

केरल: चाय के पौधों पर पाले का असर, कई इलाकों में पैदावार गिरने की आशंका

कुन्नूर की पहाडियों में चाय की खेती बड़े पैमाने पर होती है. यहां तापमान हमेशा कम रहता है. इस बार तापमान में अधिक गिरावट के चलते पाले की स्थिति बनी है. पाले ने चाय के पौधों और पत्तियों दोनों को प्रभावित किया है. इससे पैदावार गिरने की आशंका प्रबल हो गई है.

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केरल: चाय के पौधों पर पाले का असर, कई इलाकों में पैदावार गिरने की आशंका मुन्नार की पहाड़ियों में चाय बागानों पर पाले का गंभीर असर देखा जा रहा है (सांकेतिक तस्वीर)

केरल के कुछ इलाकों में चाय के पौधों पर पाले का गंभीर असर देखा गया है. मुन्नार की पहाड़ियों में लगे चाय बागानों पर गिरते तापमान और पाले का असर दिखना शुरू हो गया है. बीच में कुछ दिन तापमान स्थिर था और चाय के पौधों के लिए उपयुक्त था. लेकिन मुन्नार में फिर से तापमान गिरना शुरू हुआ है जिससे पाले का असर देखा जा रहा है. इस पाले ने चाय के पौधों को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया है. विशेषज्ञों का कहना है कि पाले से चाय का उत्पादन घट सकता है. इससे निर्यात और देश के अंदर चाय की सप्लाई में गिरावट आ सकती है.

चाय उद्योग के सूत्रों ने 'बिजनेसलाइन' को बताया कि लगातार गिरते पाले ने चाय के पौधों को बड़े स्तर पर नुकसान पहुंचाया है. अकेले मुन्नार क्षेत्र में 550 एकड़ में चाय के पौधे भारी नुकसान में हैं. हालांकि नुकसान का सटीक आकलन अभी नहीं लगाया गया, लेकिन मुन्नार के कई चाय बागानों में चाय की पत्तियां मुड़ गई हैं. चाय उत्पादन के लिए इसे गंभीर स्थिति मानी जा रही है.

फरवरी महीने में चेंदूवरै की कुछ जगहों पर न्यूनतम तापमान -1 डिग्री दर्ज किया गया है. उपासी टी रिसर्च फाउंडेशन ने 'बिजनेसलाइन' को बताया कि सेवेनमलै के लेजमी चाय बागान में तापमान शून्य दर्ज किया गया है, जबकि मुन्नार के देवीकुलम में न्यूनतम तापमान एक डिग्री दर्ज किया गया. चाय का पौधा तापमान को लेकर बहुत संवेदनशील होता है. ऐसे में दिन के तापमान और रात के तापमान में भारी अंतर की वजह से चाय के पौधों पर गंभीर असर देखा जा रहा है.

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उत्पादन गिरने की आशंका में कोच्चि के कई ट्रेडिंग सेंटर को चाय के ऑर्डर कम मिल रहे हैं. एक नामी कंपनी ने बताया है कि कोच्चि, कोयंबटूर और कुन्नूर में चाय की नीलामी में पहले की तुलना में 20 फीसद तक की गिरावट देखी जा रही है. यह गिरावट जनवरी से फरवरी के बीच देखी गई है.

कुन्नूर के वेंडिपेरियार और पीरमेडू में चाय बागानों की स्थिति सबसे खराब है. यहां चाय के पौधे पाले से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं. पाले ने नए पौधों की बढ़वार के साथ पुराने पौधों की पत्तियों को भारी नुकसान पहुंचाया है. यह सिलसिला पिछले कई दिनों से देखा जा रहा है.

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रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी शुरुआत में जब पूरा उत्तर भारत कड़कड़ती ठंड झेल रहा था, उस वक्त मुन्नार की पहाड़ियां भी इसका दंश झेल रही थीं. इन पहाड़ियों में लगी चाय इससे सबसे अधिक प्रभावित हुई. मध्य जनवरी आते- आते हालात कुछ सुधरे. लेकिन बाद में फिर स्थिति बिगड़ गई. यहां तक कि फरवरी में भी चाय के पौधों पर पाले का असर देखा गया है. इससे उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई है.

एक्सपर्ट का कहना है कि चाय की पैदावार गिरने से कुन्नूर के चाय बागानों को भारी घाटा उठाना पड़ेगा. चाय उत्पादन करने वाली कंपनियां इस स्थिति का फायदा उठाकर दूसरी जगहों से चाय खरीद शुरू करेंगी. मुन्नार से चाय खरीदने वाली कंपनियां वायनाड और तमिलनाडु से चाय खरीदना शुरू कर देंगी. इससे मुन्नार के चाय की मांग घटेगी. लिहाजा दाम में बड़ी गिरावट देखी जाएगी. अभी मुन्नार में एक किलो चाय की कीमत 14.88 रुपये मिलती है, लेकिन आने वाले समय में इसमें और भी गिरावट आ सकती है.

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